नासिक में तेंदुए का हमला (pic credit; social media)
Leopard Terror in Nashik: नासिक जिले में इन दिनों तेंदुओं का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। शहर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में तेंदुओं की बढ़ती आवाजाही ने लोगों की नींद उड़ा दी है। देवलाली कैंप, विहितगांव, वडनेर दुमाला और इगतपुरी जैसे इलाकों में बीते दो महीनों से लगातार हमलों की घटनाएं हो रही हैं। ग्रामीणों में डर इतना है कि सूरज ढलते ही लोग घरों से बाहर निकलने से कतरा रहे हैं।
ताजा मामला देवला तहसील के भंवरी-मल्ला रामनगर रोड का है, जहां शनिवार को एक तेंदुए ने पिता-पुत्र पर हमला कर दिया। सुनील ठाकरे (48) और उनके बेटे किशोर (19) खेत की ओर मोटरसाइकिल से जा रहे थे, तभी घात लगाकर बैठे तेंदुए ने झपट्टा मारा। दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
घटना की चर्चा थमी भी नहीं थी कि कुछ घंटे बाद ही इगतपुरी तालुका के मुरंबी-साजेगांव रोड पर फिर हमला हुआ। धनंजय शिंदे (30) और उत्तम शिंदे (30) रात करीब 10 बजे काम खत्म कर घर लौट रहे थे। तभी झाड़ियों से निकले तेंदुए ने उनकी चलती बाइक पर छलांग लगा दी। बाइक खाई में जा गिरी और धनंजय को तेंदुए ने पकड़ लिया। तेंदुआ उन्हें घसीटने ही वाला था कि पीछे से आती कार की हेडलाइट और शोर से वह भाग खड़ा हुआ। दोनों युवकों के हाथ-पैर पर गहरे जख्म आए हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इलाके में कम से कम 10 से अधिक तेंदुए सक्रिय हैं। मुकणे बांध, वाडीवर्ड पाझर तालाब और वालदेवी बांध के आसपास का क्षेत्र अब उनका स्थायी ठिकाना बन गया है। पानी और शिकार की उपलब्धता के कारण तेंदुआ अब इंसानी बस्तियों के बेहद करीब पहुंच गए हैं।
गांववालों ने वन विभाग से तत्काल पिंजरे लगाने और ट्रैपिंग अभियान शुरू करने की मांग की है। लेकिन अब तक विभाग की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कोई बड़ी अनहोनी हो सकती है। एक ग्रामीण ने कहा, “पहले रात को खेत जाते थे, अब दिन में भी डर लगता है। जंगल अब हमारे दरवाजे तक आ चुका है।”