जलगांव RTO में वाहनों की अवैध बिक्री (pic credit; social media)
Illegal sale of vehicles in Jalgaon: जलगांव में वाहनों की अवैध बिक्री का इतना बड़ा जाल फैला है कि अब यह एक ‘खुले राज़’ की तरह बन चुका है। तालुका स्तर पर बिना ट्रेड सर्टिफिकेट के नए वाहन खुलेआम बेचे जा रहे हैं और RTO बस आंख मूंदे बैठा है। सवाल उठता है कि एक ही डीलर को एक ही नाम और पते पर 8 से 10 प्रमाणपत्र आखिर कैसे जारी हो गए? यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि करोड़ों रुपये का काला कारोबार है।
केंद्रीय मोटर वाहन नियम 1989 की धारा 44 साफ कहती है कि व्यापार प्रमाणपत्र के दुरुपयोग पर सर्टिफिकेट रद्द होना चाहिए, लेकिन RTO जलगांव में किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता। मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 192 के तहत ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जरूरी है, पर यहां तो सबकुछ खुलेआम चल रहा है। परिवहन विभाग की नाकामी और आर्थिक स्वार्थों के कारण यह कारोबार लगातार फल-फूल रहा है।
नवभारत की टीम ने भुसावल, यावल और चोपड़ा में जाकर पाया कि अनधिकृत सब-डीलर बाइक्स, कार और ट्रैक्टर तक बेच रहे हैं। एक सब-डीलर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “अधिकृत डीलर हमें बिना रजिस्ट्रेशन के वाहन देते हैं, हम डिस्काउंट पर बेचते हैं और RTO वाले कभी चेक नहीं करते।” पूरे जिले में ऐसे दर्जनों सब-डीलर हैं जो नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं।
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14 दिसंबर 2020 को महाराष्ट्र परिवहन आयुक्त ने सर्कुलर जारी कर सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे, लेकिन पांच साल बाद भी जलगांव में कोई अमल नहीं हुआ। जिले में कम से कम 25 अनधिकृत विक्रेता सक्रिय हैं, जो हर साल करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। नतीजा—ग्राहकों को ठगी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि ऐसे वाहनों की वारंटी और सर्विस अमान्य होती है।
RTO की भूमिका अब सबसे ज्यादा संदिग्ध है। क्या अधिकारी खुद शामिल हैं या ऊपर से दबाव है? यह मामला केवल आर्थिक नहीं बल्कि जनसुरक्षा का भी है। अब जरूरत है पारदर्शी जांच की और दोषियों पर त्वरित कार्रवाई की।
सावधान रहें! अगर आप नया वाहन खरीद रहे हैं, तो अधिकृत डीलर से ही खरीदें और उसका ट्रेड सर्टिफिकेट जरूर जांचें। जलगांव का यह ‘काला सौदा’ अब जनता की नजर में है और सवाल यही है, कब जागेगा सिस्टम?