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नाशिक: ऐन कोरोना (Corona) और नए वेरिएंट ओमीक्रोन (New Variants Omicron) के तेजी से सामने आ रहे मामलों के बीच खबर है कि तीन महीने से वेतन से वंचित जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत काम करने वाले एंबुलेंस चालकों (Ambulance Drivers) ने काम बंद करने की चेतावनी दी है। इन चालकों ने उन्हें प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर कंपनी की बजाय राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान के तहत नियुक्ति करने की मांग की है। ऐन कोरोना काल में अगर ये चालक अपनी सेवाएं देना बंद कर देते हैं तो मां और शिशु भारी परेशानी में आ सकते हैं।
ग्रामीण भागों की गर्भवती महिलाओं, नवजातों और दुर्घटना में जख्मी हुए लोगों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सिविल हॉस्पिटल तक उपचार के लिए ले जाने और उन्हें वापस लाने का काम इन्हीं एंबुलेंस ड्राइवरों के जरिए किया जाता है। करीब 17 वर्षों से ये चालक एंबुलेंस चला रहे हैं। उनकी सेवाएं रुकने का मतलब है कि सैकड़ों लोग हॉस्पिटल में उपचार से वंचित रह जाएंगे।
फिलहाल भोपाल की एक प्राइवेट कॉन्ट्रैक्टर कंपनी के जरिए इन चालकों का वेतन दिया जाता है। जिले में 102 चालक एंबुलेंस चलाने का काम करते हैं। इन कर्मचारियों को महीने में 15 हजार 445 रुपए का वेतन देना तय हुआ है, लेकिन प्रत्यक्ष रूप से इनके हाथ में 8 हजार 900 रुपए ही आता है। तीन महीने से केवल नाशिक के ही नहीं, बल्कि राज्य भर के सैकड़ों कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया गया है।
इन कर्मचारियों ने संगठनों के जरिए जिला शल्य चिकित्सक, जिला मेडिकल अधिकारी, संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों के साथ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तक इसे लेकर शिकायत की है, लेकिन कंपनी का तर्क है कि वेतन के लिए पैसे नहीं मिल पा रहे हैं, जबकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि फंड वितरण की प्रक्रिया जारी है।
नाशिक में एंबुलेंस चालकों द्वारा आंदोलन करने की तैयारी शुरू की गई है। कर्मचारियों ने वेतन देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। कर्मचारियों ने कम से कम 14 हजार रुपए वेतन देने की मांग की है। अगर ये मांग पूरी नहीं की गई तो चालक पूरी तरह से काम बंद करने का मूड बना चुके हैं।