
फोर्कलिफ्ट के नीचे दबकर मज़दूर की मौत (सौजन्य-नवभारत)
Butibori News: बूटीबोरी एमआईडीसी फेज़-2 स्थित आवाडा कंपनी में हुई एक दुर्घटना में कैलास खुशाबराव कैकाड़ी (37) की फोर्कलिफ्ट के नीचे दबकर मौत हो गई। इस घटना ने कंपनी प्रबंधन और औद्योगिक सुरक्षा नियमों के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिये हैं। अपना परिवार चलाने वाला एक मज़दूर काम करते हुए नियमों और लापरवाही का शिकार हो गया।
जानकारी अनुसार उमरेड़ तहसील के बेला निवासी कैलास कैकाडी, आवाडा कंपनी में फोर्कलिफ्ट चालक के रूप में कार्यरत थे। पुलिस के अनुसार 4 नवंबर की सुबह लगभग 10 बजे, कैलास ने अपना फोर्कलिफ्ट पार्क किया और पानी पीने के लिए वाहन के पीछे चले गए। इसी बीच, एक अन्य कर्मचारी ने फोर्कलिफ्ट स्टार्ट कर दिया। कर्मचारी वाहन से नियंत्रण खो बैठा और फोर्कलिफ्ट तेज़ी से पीछे की ओर खिसक गई।
पीछे पानी पी रहे कैलास कैकाडी फोर्कलिफ्ट की चपेट में आ गए, जिससे कैलास के पेट में गंभीर चोटें आईं। उसे तुरंत इलाज के लिए बूटीबोरी स्थित माया अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिनों तक मौत से जूझने के बाद बुधवार की रात 10 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। बूटीबोरी पुलिस ने मामला दर्ज कर पोस्टमार्टम करवाकर जांच शुरू कर दी है। इस दुर्घटना ने एक बार फिर औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की सुरक्षा के मुद्दे को उजागर कर दिया है।
अगर कोई व्यक्ति फोर्कलिफ्ट जैसे भारी वाहन चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त नहीं है, तो उसे गंभीर लापरवाही माना जाता है। क्या कंपनी में प्रबंधन के नियमों के अनुसार ऐसे संवेदनशील वाहनों की निगरानी और नियंत्रण किया जाता था। फोर्कलिफ्ट जैसे वाहन को पार्क करने के बाद स्टार्ट होने से रोकने के लिए ‘लॉक आउट/टैग आउट’ जैसे बुनियादी सुरक्षा उपाय अनिवार्य हैं।
मुख्य प्रश्न यह है कि क्या कैलास ने गाड़ी पार्क करने के बाद उसे सुरक्षित किया था और क्या कंपनी में इन नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है। यदि किसी अन्य कर्मचारी ने गाड़ी स्टार्ट की थी, तो क्या उसे फोर्कलिफ्ट चलाने का पर्याप्त प्रशिक्षण दिया गया था। साथ ही, क्या यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया था कि अन्य कर्मचारी कंपनी परिसर में काम करते समय बंद गाड़ी से दूर रहे या उसे न छुए।
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एक चालक की लापरवाही के कारण दूसरे चालक की मृत्यु स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि कंपनी के कार्यस्थल पर सुरक्षा नियमों का उचित ऑडिट नहीं होता है या उनका क्रियान्वयन कमज़ोर है। इस दुर्घटना ने एक परिवार को आजीविका से वंचित कर दिया है। बूटीबोरी पुलिस को इस लापरवाही के पीछे की वास्तविक ज़िम्मेदारी निर्धारित करनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, श्रमिक संघ औद्योगिक सुरक्षा विभाग से आवाडा कंपनी के सुरक्षा मानकों का तुरंत निरीक्षण करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग कर रहे हैं।
घटना के बाद कुछ कामगारों ने आरोप लगाते हुए बताया कि आवाडा सोलर प्लांट कंपनी में कामगारों की जान के साथ मैनेजमेंट खिलवाड़ कर रही हैं। कामगारों को ईएसआईसी सुविधा भी नहीं होने के साथ ही सुरक्षा पर भी ध्यान नहीं रखा जाता।
आवाडा कंपनी में मृतक कैलास कैकाडी को 15 लाख रुपये की मदद राशि दी गई। यह राशि काफी मशक्कत के बाद बूटीबोरी पुलिस और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव मुजीब पठाण के सहयोग से कंपनी के मैनेजमेंट ने स्वीकार की। गुरुवार को यह 15 लाख की राशि मृतक कैलास के परिवार के खाते में जमा करा दी गई।






