विवि पहुंची श्री गुरुदेव क्रांतिज्योत यात्रा का स्वागत (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Shri Gurudev Krantijyot Yatra: अखिल भारतीय श्री गुरुदेव सेवा मंडल श्रीक्षेत्र गुरुकुंज के प्रचार सेवा अधिकारी प्रकाश महाराज वाघ ने कहा कि राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज ने समाज में मानवतावादी विचारों का संचार किया। अभा गुरुदेव सेवा मंडल द्वारा आयोजित गुरुदेव क्रांतिज्योत यात्रा मंगलवार को विवि में पहुंची। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलसचिव डॉ. राजू हिवसे ने की। यात्रा प्रमुख सुशील बर्डे, सेवा मंडल के कार्यकारिणी सदस्य बाबाराव पाटिल, प्रचार प्रमुख दामोदर पाटिल, राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज अध्यासन प्रमुख डॉ. विजयलक्ष्मी थोटे उपस्थित थे।
वाघ ने कहा कि हमारे देश ने कई युद्ध देखे हैं। देश में युद्ध का एक लंबा इतिहास है और हर किताब में युद्ध का उल्लेख मिलता है। युद्ध के बिना कोई किताब नहीं है। महाभारत की रचना भी युद्ध से हुई। युद्ध से कहानियों और उपन्यासों का निर्माण हुआ। राष्ट्रसंत ने समाज में क्रांति की जो चेतना जगाई, वह इतिहास में लुप्त होती दिख रही है। यह क्रांति ज्योत यात्रा इसलिए आयोजित की गई है ताकि समाज को यह इतिहास याद रहे, उनमें देशभक्ति की ज्वाला बढ़े और नागरिकों में भारत के लिए लड़ने की भावना पैदा हो।
हमारा देश भारत 15 अगस्त 1947 को शहीदों के बलिदान से अंग्रेजों की गुलामी से स्वतंत्र हुआ था। इस स्वतंत्रता संग्राम में पूज्य राष्ट्रसंत श्री तुकडोजी महाराज ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। लेकिन देश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है। पूज्य राष्ट्रसंत का नाम अभी तक भारत के राष्ट्रीय नायकों की सूची में नहीं है। तुकडोजी महाराज को भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। यह जानकारी जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसके लिए गुरुकुंज आश्रम ने 9 से 31 अगस्त तक क्रांतिज्योत यात्रा का आयोजन किया है।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम का 150 साल पुराना इतिहास है। 1942 के स्वतंत्रता संग्राम में राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज ने लोगों में स्वतंत्रता की ज्वाला जगाई। यावली शहीद चिमूर में देश की आजादी के लिए कई लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी। इनमें सबसे कम उम्र के बालाजी रायपुरकर थे। राष्ट्रसंत द्वारा लिखे गए भजनों से प्रेरित होकर, देश के विभिन्न हिस्सों जैसे विदर्भ, तेलंगाना आदि में स्वतंत्रता संग्राम को बल मिला।
अध्यासन प्रमुख डॉ. विजयलक्ष्मी थोटे ने बताया कि 9 अगस्त को गुरुकुंज मोझरी से शुरू हुई और 31 अगस्त तक चलने वाली क्रांतिज्योत यात्रा का उद्देश्य राष्ट्रीय संतों के कार्यों को जन-जन तक पहुंचाना है। संचालन प्रो. देवमन कामड़ी ने किया। आभार जयेंद्र मेश्राम ने माना। प्रो. वर्षा पाटिल, प्रो. दिव्या राजुरकर, प्रो. राहुल उइके, कल्याणी मेश्राम ने सफलता हेतु प्रयास किए।