स्थानीय निकाय चुनावों में VVPAT-EVM के उपयोग पर विवाद तेज (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur High Court Election Case: स्थानीय निकाय चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के उपयोग को लेकर जारी विवाद में नया मोड़ सामने आया है। याचिकाकर्ता प्रफुल्ल विनोदराव गुडाधे की ओर से राज्य चुनाव आयोग द्वारा दायर अतिरिक्त हलफनामे के जवाब में विस्तृत हलफनामा प्रस्तुत किया गया है, जिसमें आयोग के अधिकारों और स्थानीय चुनाव नियमों को चुनौती दी गई है।
याचिकाकर्ता का दावा है कि स्पष्ट वैधानिक प्रावधानों के अभाव में राज्य चुनाव आयोग VVPAT-EVM के उपयोग को अनिवार्य नहीं कर सकता। शुक्रवार को दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा, अधि. निहाल सिंह राठौड़ तथा अधि. पवन डहाट ने पैरवी की, जबकि राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अक्षय नाईक ने दलीलें पेश कीं।
जवाबी हलफनामे में कहा गया है कि राज्य चुनाव आयोग ने 10 नवंबर 2025 को अपने हलफनामे में यह स्वीकार किया था कि संबंधित स्थानीय निकाय अधिनियमों में EVM के साथ VVPAT के उपयोग के लिए कोई कानूनी प्रावधान मौजूद नहीं है। याचिकाकर्ता के अनुसार, आयोग की सभी शक्तियां इन्हीं अधिनियमों और अनुच्छेद 243K से प्राप्त होती हैं। ऐसे में यदि अधिनियमों में प्रावधान मौजूद नहीं हैं, तो आयोग स्पष्ट वैधानिक अधिकारों के बिना VVPAT के उपयोग को अनिवार्य या लागू नहीं कर सकता।
याचिकाकर्ता ने आयोग के इस दावे को गलत और असत्य बताया कि राज्य सरकार या संबंधित प्राधिकरणों द्वारा कोई नियम नहीं बनाए गए हैं। याचिकाकर्ता ने कई अभी भी लागू सांविधिक नियमों का उल्लेख किया।
इन नियमों की समीक्षा के आधार पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य ने मतपत्र (Ballot) प्रणाली को ही मतदान की एकमात्र पद्धति के रूप में निर्धारित किया था। ये नियम अनुच्छेद 243K(4), 243ZA(2) और 7वीं अनुसूची की सूची-II के तहत बनाए गए थे।
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याचिकाकर्ता ने राज्य चुनाव आयोग के रवैये को विरोधाभासी बताते हुए आपत्ति जताई। दलील के अनुसार, आयोग ने अपने आदेशों को नियमों के अनुरूप बताते हुए उन पर भरोसा किया, लेकिन साथ ही सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्णय में स्पष्ट किए गए उस तथ्य की व्याख्या को नजरअंदाज़ किया कि EVM का अर्थ है बैलेट यूनिट + कंट्रोल यूनिट + VVPAT यूनिट। याचिकाकर्ता के अनुसार, ऐसे में आयोग द्वारा VVPAT का उपयोग न करने का निर्णय उचित नहीं ठहरता।