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Nagpur: फेल हो गई महाराष्ट्र सरकार की ‘विमुस योजना’, ग्रामीण विवाद बढ़े, पुलिस स्टेशनों पर बढ़ा दबाव

Dispute Free Village Scheme Maharashtra: पारशिवनी तहसील में महाराष्ट्र शासन की विमुस योजना निष्क्रिय हो गई है। मानधन व राजनीतिक हस्तक्षेप से पुलिस थानों पर केसों का दबाव बढ़ा।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Dec 15, 2025 | 01:52 PM

नागपुर न्यूज

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Parshivni News: राज्य सरकार के द्वारा ग्रामीण अंचल में होने वाले विवादों के निराकरण तथा स्थानीय पुलिस स्टेशनों में प्रकरणों का दबाव कम करने को लेकर विवाद मुक्त योजना लागू की गई थी, परंतु वर्तमान समय में यह योजना लगभग पूरी तरह से फेल नजर आ रही हैं, और स्थानीय पुलिस स्टेशनों में प्रकरणों का दबाव बढ़ता जा रहा है।

ग्रामीण अंचल में बढ़ते छोटे-छोटे विवादों के निराकरण तथा स्थानीय पुलिस स्टेशन में विवादों एवं प्रकरणों की कमी कर करने के उद्देश से राज्य सरकार के द्वारा महात्मा गांधी विवाद मुक्त समिति का गठन 15 अगस्त 2007 में किया गया था। इस समिति के गठन के साथ स्थानीय ग्राम पंचायत सरपंच को मानद पद के रूप में विमुस अध्यक्ष का पद दिया जाता रहा है।

50 ग्राम पंचायतों का समावेश

समय के साथ हुए परिवर्तन में आयोजित होने वाली वार्षिक आम सभा में सरपंच के स्थान पर स्थानीय नागरिक को विमुस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी देने को लेकर चलन बढ़ गया। धीरे-धीरे सरपंच के स्थान पर स्थानीय नागरिकों को विमुस अध्यक्ष के रूप में आम सहमति से नियुक्त कर देने की प्रथा चली, जो आज तक चलती जा रही है। इस क्रम में ध्यान देने योग्य तथ्य यह है, कि पारशिवनी तहसील में कुल 50 ग्राम पंचायतों का समावेश है।

इन सभी ग्राम पंचायतों में विमुस का अध्यक्ष होना शासन निर्णय के अनुसार होना आवश्यक है। इस संर्दभ में सुत्रों की माने तो अधिकतर ग्राम पंचायतों में विमुस का अध्यक्ष तो बनाया गया है, परंतु समिति का होना या ना होना बराबर है। इस संदर्भ में कन्हान थाना अंर्तगत आने वाले 30 गांवों में समाविष्ट ग्राम पंचायतों को लेकर मिली जानकारी के अनुसार मुश्किल से मात्र 3 या 4 ग्रापं में विमुस के अध्यक्ष हैं, बाकी का तो नाम निशान भी नहीं बचा है।

इसी क्रम में पारशिवनी थाना के अंर्तगत आने वाली ग्राम पंचायतों में भी लगभग यहीं स्थिति बनी हुई है। तहसील की कुल 50 ग्रापं में विमुस अध्यक्ष पद को लेकर खंडविकास अधिकारी सुभाष जाधव के अनुसार सभी ग्राम पंचयतों में विमुस के अध्यक्ष बनाने गए हैं। जबकि जमीनी स्तर पर विमुस अध्यक्ष कागजों पर ही बने हुए हैं।

मानधन की व्यवस्था का आभाव

ग्राम पंचायत स्तर पर लागू इस योजना को लेकर एक सामाजिक जिम्मेदारी का उत्तरदायित्व निभाने को लेकर इस योजना का क्रियान्वन किया गया था। इस योजना के तहत ग्राम पंचायत या गांव स्तर पर होने वाले छोटे-छोटे विवादों का निराकरण गांव स्तर पर होने से संबंधित थाने में प्रकरणों का दबाव कम होने की संभावना को लेकर सकार इस योजना का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा।

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ज्ञात हो की गांव स्तर नागरिकों के बीच कचरा, पानी छीटे पड़ना, दारू आदि को लेकर अक्सर विवाद होते थे, वर्तमान समय तक शासन के द्वारा विमुस अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी को किसी भी तरह का मानधन नहीं मिलने के कारण यह प्रभावी योजना अपनी अंतिम सांसे गिन रही हैं।

बढ़ता राजनीतिक हस्तक्षेप

इस योजना के फेल होने का सबसे बड़ा कारण इस योजना में राजनीतिक हस्तक्षेप रहा। इस संदर्भ में सुत्रों की माने तो जिस ग्राम पंचायत में जिस पार्टी का सरपंच होता है, आम तौर पर विमुस अध्यक्ष पद पर उसी पार्टी का अध्यक्ष भी नियुक्त किया जाता था।

इसी कारण इस पद पर रहने वाले अध्यक्ष कभी भी स्थानीय सरपंच या सदस्यों के विरोध में कोई भी निर्णय नहीं ले पाता है, जिसके कारण अन्य राजनीतिक दल के कार्यकर्ता इस अध्यक्ष को उतना महत्व नहीं देते हैं, जिसको लेकर इस समिति का गठन किया गया था।

मिलती थी 10 लाख की राशि

विमुस योजना के तहत अध्यक्ष या सदस्य को भले ही मानधन नहीं मिलता था, परंतु गांव की समृद्वि के लिए इस योजना के तहत लगभग 10 लाख रूपए की राशि मिलती थी, इसी राशि का प्रयोग स्थानीय स्तर पर चुनी हुई कार्यकारिणी के द्वारा गांव हित में कई कार्य हो जाते थे। इस योजना को पुन: पुराने स्वरूप में क्रियान्वन करने की दरकार है, जिसमें पुलिस प्रशासन का दबाव कम करने के साथ गांव की समृद्वि का रास्ता खुल सके।

Vivad mukt yojana fail parshivni police case pressure

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Published On: Dec 15, 2025 | 01:52 PM

Topics:  

  • Maharashtra
  • Maharashtra Government
  • Nagpur
  • Nagpur News

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