
हर्ष दुबे और स्पिन बॉलिंग का अभाव (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur Sport News: रणजी ट्रॉफी सत्र 2025-26 में पूर्व चैम्पियन विदर्भ की शानदार शुरुआत के बाद टीम का विजयी क्रम थम गया है। पहले मुकाबले में नगालैंड को हराने के बाद टीम लगातार दो मैच ड्रॉ खेलने पर मजबूर हुई है। तमिलनाडु के खिलाफ हालिया मुकाबले ने विदर्भ की गेंदबाजी रणनीति पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।
टीम ने इस मैच में दो स्लो लेफ्ट-आर्म ऑर्थोडॉक्स गेंदबाजों के साथ उतरने का निर्णय लिया, लेकिन चौथे दिन विकेट निकालने की स्थिति में यह संयोजन नाकाम रहा। हर्ष दुबे की गैरमौजूदगी में विदर्भ का स्पिन अटैक न केवल कमजोर पड़ा, बल्कि उसमें विविधता की कमी भी साफ झलकी। वहीं, इस मैच में राइट-आर्म लेगब्रेक और ऑफ स्पिन गेंदबाज की कमी भी उजागर हुई।
कोयंबटूर में 1 से 4 नवंबर तक खेले गए मैच के अंतिम दिन तमिलनाडु को जीत के लिए 204 रनों की जरूरत थी, जबकि विदर्भ को 10 विकेट लेने थे। पूरे दिन कड़ी मेहनत के बावजूद टीम केवल छह विकेट ही ले सकी और मुकाबला ड्रॉ पर समाप्त हुआ।
मीडियम पेसर प्रफुल्ल हिंगे ने एक छोर से शानदार गेंदबाजी करते हुए चार विकेट झटके, लेकिन दूसरे छोर से उन्हें आवश्यक सहयोग नहीं मिला, जिससे टीम दबाव नहीं बना सकी। पहली पारी में पांच विकेट लेने वाले नचिकेत भूते दूसरी पारी में प्रभावी प्रदर्शन नहीं कर सके, जबकि पार्थ रेखड़े सिर्फ एक विकेट ले पाए। दूसरे लेफ्ट-आर्म स्पिनर अक्षय कर्णेवार भी दोनों पारियों में असर छोड़ने में नाकाम रहे।विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टीम के पास कोई राइट-आर्म लेगब्रेक या ऑफ स्पिन विकल्प होता, तो आखिरी दिन की पिच पर अटैकिंग गेंदबाजी से जीत संभव थी।
विदर्भ की मौजूदा टीम में इस समय राइट-आर्म लेगब्रेक स्पिनर का अभाव है। टीम पूरी तरह स्लो लेफ्ट-आर्म ऑर्थोडॉक्स जोड़ी पर निर्भर होकर खेल रही है। ऐसे में जब तेजी से विकेट लेने की जरूरत होती है, तो टीम के पास ‘अटैकिंग स्पिन’ का विकल्प नहीं बचता।
क्रिकेट विश्लेषकों के मुताबिक, लेगब्रेक स्पिनर स्वभाव से आक्रामक होता है और विकेट हासिल करने के लिए जोखिम लेता है, जबकि लेफ्ट-आर्म ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज आमतौर पर कंट्रोल और रन रोकने पर ध्यान देता है।
टीम के प्रमुख ऑलराउंडर और स्लो लेफ्ट-आर्म ऑर्थोडॉक्स स्पिनर हर्ष दुबे ने पिछले सत्र में रणजी इतिहास के सर्वाधिक विकेट चटकाए थे। इस सत्र के पहले ही मैच में उन्होंने नगालैंड के खिलाफ दोनों पारियों में छह विकेट लेकर टीम को जीत दिलाई थी।
दुबे फिलहाल इंडिया ‘ए’ टीम के साथ हैं, जिससे विदर्भ को उनके अनुभव और आक्रमण दोनों की कमी खल रही है। उनकी अनुपस्थिति में विदर्भ का स्पिन विभाग अनुभवहीन और एकरूपी नजर आ रहा है।
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झारखंड और तमिलनाडु के खिलाफ मैच ड्रॉ रहने से शीर्ष पर चल रही विदर्भ टीम दूसरे स्थान पर पहुंच गई है। विदर्भ एक जीत और दो ड्रॉ के साथ 13 अंक लेकर दूसरे स्थान पर है, जबकि झारखंड दो जीत और एक ड्रॉ के साथ 15 अंकों पर पहले स्थान पर है। हालांकि यह रणजी सत्र का शुरुआती चरण है, इसलिए अंकतालिका में अभी उतार-चढ़ाव जारी रहेगा।
लगातार दो ड्रॉ मैचों के बाद विदर्भ के गेंदबाजी संयोजन पर चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि टीम को आगे के मुकाबलों में स्पिन अटैक में विविधता लाने की जरूरत है। यदि हर्ष दुबे की वापसी जल्द नहीं होती, तो चयनकर्ताओं को राइट-आर्म लेगब्रेक या ऑफ स्पिन विकल्प पर भी विचार करना चाहिए।






