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नागपुर. आज से 122 दिन पूर्व 20 सितंबर 2022 को स्वतंत्र विदर्भ राज्य आंदोलन को सुनियोजित तरीके से धरातल पर उतारने के लिए देश में राजनीतिक क्षेत्र के रणनीतिकार समझे जाने वाले प्रशांत किशोर या यानी पीके को नागपुर आमंत्रित किया गया था. पूर्व विधायक आशीष देशमुख की पहल पर चिटणवीस सेंटर में विदर्भभर से आए विदर्भवादी संगठनों के प्रतिनिधियों, वकीलों, डॉक्टरों व बुद्धिजीवी वर्ग से दिनभर चर्चा कर एक रोडमैप तैयार किया गया जिसमें सबसे अहम घोषणा यह की गई थी कि 1 जनवरी 2023 से हर दिन यानी 365 दिन आंदोलन किया जाएगा और दिसंबर 2023 तक विदर्भ का संपूर्ण चित्र स्पष्ट होगा.
इस मंथन में नितीन रोंघे, नितिन मोहोड, मुकेश समर्थ, विजय जावंधिया, राजीव जगताप, दिलीप नरवडिया, हरीश इथापे सहित लगभग 200 विदर्भवादियों ने भाग लिया था. यह भी खम्भ ठोककर कहा गया था कि इतने वर्षों तक इंतजार किया है तो 100 दिन और इंतजार करिये, फिर देखिये कैसे हालात बदलते हैं. आज जनवरी महीने की 20 तारीख हो गई लेकिन विदर्भ के नाम पर एक पिन तक गिराने की आवाज नहीं आई.
दशकों से विदर्भ राज्य की मांग करने संगठनों व नेताओं ने विदर्भ आंदोलन के लिए रणनीति बनाने हेतु पीके को लाने वाले नेता पर सवाल उठाए थे. आरोप भी लगाया था कि राजनीतिक महकमे से अलग-थलग कर दिए जाने के बाद चर्चा में छाये रहने के लिए वे अब विदर्भ मुद्दे का इस्तेमाल कर रहे हैं. वर्षों से विदर्भ के लिए संघर्ष करने वाले संगठन के नेता बुलावे पर भी उस बैठक में नहीं गए थे. उनका यह भी तर्क था कि पीके को विदर्भ के संदर्भ में कोई जानकारी तक नहीं है, वे राजनीतिक पार्टियों के लिए पैसे लेकर रणनीति बनाने का कार्य करते हैं. हालांकि पीके की वह बैठक हुई थी और जितने भी संगठन के प्रतिनिधि आए थे उनके साथ उनकी वन-टू-वन चर्चाएं हुईं, फिर सभी की भावनाएं भी जानी गईं और पीके ने यह स्पष्ट किया था कि इमोशनली आंदोलन की जगह सोचे-समझे सुनियोजित आंदोलन को धरातल पर उतारना होगा और अगर विदर्भ की 2.50 करोड़ जनता चाहे तो विदर्भ न बने ऐसा नहीं हो सकता.
पीके द्वारा यहां के प्रतिनिधियों से चर्चा कर विदर्भ आंदोलन को धार देने के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया था जिसमें अगली बैठक में 1000 और उसके बाद की बैठक में 10,000 लोगों के शामिल होने की आशा जताई गई थी. विदर्भ के प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक प्रतिनिधि हो, इस पर कार्य करने का तय किया गया था. 11 जिलों में 150 लोगों की ज्वाइंट एक्शन कमेटी तैयार करने की बात हुई थी और 6 से 9 महीनों में यह पहला चरण पूरा करने का निश्चित किया गया था. इसके लिए 1 जनवरी से पूरे वर्ष 365 दिन आंदोलन करना तय किया गया था. जमीनी स्तर पर विदर्भ राज्य के लिए संघर्ष कर रहे विदर्भवादियों का कहना है कि विडंबना है कि 4 महीने तो बीत गए लेकिन पीके को यहां लाने वाले नेता ने खुद एक भी दिन फिर इस संदर्भ में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.