सुप्रीम कोर्ट का फैसला (कंसेप्ट फोटो)
नागपुर: सुप्रीम कोर्ट ने अगले 4 माह के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इच्छुकों में खुशियां तो देखी गईं किंतु तुरंत ही प्रभाग रचना का खौफ भी उजागर हुआ है। हालांकि अब चुनाव की घोषणा को काफी समय है किंतु सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से नागपुर में 3 या 4 सदस्यीय प्रभाग की अटकलों ने जोर पकड़ लिया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य में गत कुछ समय तक चले सत्ता परिवर्तन में कभी 2 सदस्यीय तो कभी 3 सदस्यीय प्रभाग रचना होने की प्रक्रिया होती रही है, जबकि उसके पूर्व 4 सदस्यीय प्रभाग रचना के अनुसार मनपा में भाजपा सत्ता भी स्थापित कर चुकी है। यही कारण है कि अब प्रभाग रचना को लेकर इच्छुकों के माथे पर बल पड़ने लगे हैं। प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार की ओर से इसका सुझाव चुनाव आयोग को भेजा जाएगा जिसके बाद आयोग नोटिफिकेशन जारी करेगा।
नागपुर मनपा का कार्यकाल 2022 में समाप्त हुआ है। ऐसे में प्रशासन चुनाव की जल्दी में था। कुल 156 सदस्यों के लिए 52 वार्डों की अंतिम वार्ड संरचना की घोषणा मई 2022 में की गई थी। सभी 52 वार्डों में 3 सदस्यों के अनुसार आरक्षण भी निकाला गया।
2022 की घोषणा के अनुसार 113 सामान्य, 31 अनुसूचित जाति और 12 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थीं। 78 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं। कुल 31 वार्डों में से 3 में से 1 सीट एससी के लिए आरक्षित थी। 12 वार्डों में 3 में से 1 सीट एसटी के लिए आरक्षित थी। 8 वार्डों में एससी और एसटी आरक्षित थे और 17 वार्डों में कोई आरक्षण नहीं था।
महाविकास आघाड़ी सरकार ने मुंबई को छोड़कर अन्य नगर पालिकाओं में 3 सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र बनाने का निर्णय लिया था लेकिन फिर एकनाथ शिंदे की सरकार ने 2017 के निर्वाचन क्षेत्र के नक्शे के अनुसार महानगरपालिका चुनाव कराने का फैसला किया।
2017 के चुनाव में नागपुर में 38 वार्ड और 151 नगरसेवक थे। वार्ड नं। 37 में 4 सदस्य थे जबकि वार्ड नं। 38 में 3 सदस्य थे। 2017 में अनुसूचित जाति के लिए 30 सीटें, अनुसूचित जनजाति के लिए 12, पिछड़ा वर्ग के लिए 42 और ओपन कैटेगरी में 68 सीटें थीं। 50 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित थीं।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर भले ही मंगलवार को निर्देश जारी किया गया हो लेकिन मनपा का चुनावी प्रशासन विभाग एक सप्ताह पहले से ही सक्रिय हो चुका था। सूत्रों की मानें तो कुछ अधिकारियों की जिम्मेदारियां भी निर्धारित कर दी गई हैं।
कुछ अधिकारियों को निर्वाचन विभाग में स्थानांतरित करने का आदेश भी जारी किया गया। सूत्रों के अनुसार इन अधिकारियों को पुराने विभागीय दस्तावेज हटाने का निर्देश दिया गया है। एक सप्ताह पहले से ही कर्मचारियों को सक्रिय किए जाने के कारण अब तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है।
दिसंबर 2019 – बहुसदस्यीय वार्ड प्रणाली बंद कर दी गई
मार्च 2020 – एक सदस्यीय वार्ड प्रणाली पुनः शुरू की गई
अक्टूबर 2021 – महाविकास आघाड़ी ने फिर बदला अपना फैसला।
1 प्रभाग से 3 पार्षद चुनने की विधि।