नागपुर हाई कोर्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: महाराष्ट्र में स्मार्ट प्री-पेड इलेक्ट्रिक मीटर को लेकर सनसनी मची हुई है। राज्य भर में जबरनदस्ती जा रहे स्मार्ट प्री-पेड इलेक्ट्रिक मीटर पर पाबंदी लगाने तथा इस कार्यप्रणाली को अवैध करार देने का अनुरोध किया जा रहा है। इसके लिए विदर्भ विज ग्राहक संगठन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।
याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने स्मार्ट मीटर लगाने के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का आदेश देने का अनुरोध कोर्ट से किया। हालांकि याचिकाकर्ता की दलीलों को तो सुना गया किंतु अब तक प्रतिवादियों की ओर से जवाब दायर नहीं किए जाने तथा उनका पक्ष आने तक रोक लगाने से हाई कोर्ट ने इनकार कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता पंकज नवलानी ने पैरवी की।
हाई कोर्ट ने प्री-पेड स्मार्ट इलेक्ट्रिक मीटर क्यों नहीं हो, इसके परिप्रेक्ष्य में सम्पूर्ण जानकारी के साथ दस्तावेज प्रस्तुत करने के आदेश याचिकाकर्ता को दिए थे। कोर्ट ने आदेश में याचिकाकर्ताओं को पूरी सामग्री रिकॉर्ड पर रखने के लिए समय प्रदान किया था ताकि उनका यह तर्क पुष्ट हो सके कि मौजूदा मीटरों को स्मार्ट प्री-पेड मीटर से बदलने की आवश्यकता नहीं है।
कोर्ट ने पिछले आदेश में ही स्पष्ट किया था कि कोर्ट ने याचिका में प्रार्थनाओं का अध्ययन किया है। मामला वर्तमान में मौजूदा बिजली मीटरों को बदलने से संबंधित है। इस संदर्भ में सामग्री प्रबंधन विभाग के मुख्य अभियंता की ओर से संचालन व रखरखाव विभाग के मुख्य अभियंता को पत्र भेजा गया था।
एमएसईडीसीएल के मुख्य अभियंता को भेजे गए पत्र के अनुसार इसमें भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय से प्राप्त निर्देशों और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन लि. द्वारा आरडीएसएस योजना को मंजूरी दिए जाने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। इस योजना के अनुसार एमएसईडीसीएल ने महाराष्ट्र राज्य में स्मार्ट प्री-पेड मीटरिंग के लिए एडवांस मीटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (AMI) सेवा प्रदाता की नियुक्ति के लिए निविदा आमंत्रित की है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट का मानना था कि याचिका में उठाए गए विवादों की सराहना करने के लिए न तो योजना और न ही सरकारी निर्देशों को रिकॉर्ड में रखा गया है। इसके विपरीत इस पूरे मामले पर सरकारी स्तर पर विचार-विमर्श किए जाने के तथ्य उजागर हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें – ताजुद्दीन बाबा का बंगाली कुर्ता आज भी सुरक्षित, जाधव परिवार ने संभाल रखी अमानत
सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से मुख्य सरकारी वकील देवेन चौहान ने पैरवी की। अपनी दलील में चौहान ने कहा कि स्मार्ट मीटर का मुद्दा स्मार्ट ग्रिड मिशन के दिशानिर्देशों के अनुसार हुआ है। 18 जनवरी 2015 को इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए गए थे। इसी तरह से मीटरों की स्थापना और संचालन (संशोधन विनियमन)-2019 की धारा (3) के अनुसार कार्यवाही है।