उद्धव ठाकरे (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Prabhag 28 Nagpur municipal elections: नागपुर की राजनीति में महाविकास आघाड़ी (MVA) के बीच सीटों का तालमेल बिगड़ने के बाद अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के भीतर ही अंदरूनी कलह खुलकर सामने आ गई है।
रमना मारोतीनगर-दिघोरी के प्रभाग-28 में पार्टी के दो कद्दावर नेताओं, शहर प्रमुख नितिन तिवारी और पूर्व उपमहापौर किशोर कुमेरिया के बीच मचे घमासान ने संगठन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह विवाद इतना बढ़ गया है कि इसकी गूंज अब मुंबई स्थित ‘मातोश्री’ तक जा पहुँची है।
विवाद की जड़ें मंगलवार सुबह से जुड़ी हैं, जब कांग्रेस के साथ गठबंधन टूटने की खबरें पुख्ता हुईं। इसके तुरंत बाद यूबीटी नेतृत्व ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्दलीय या अपने स्तर पर पर्चा भरने के निर्देश दिए। प्रभाग-28 में समीकरण यह था कि किशोर कुमेरिया हमेशा की तरह ओबीसी (OBC) आरक्षित सीट से चुनाव लड़ेंगे और ओपन (सामान्य) सीट पर शहर प्रमुख नितिन तिवारी अपनी किस्मत आजमाएंगे।
हैरानी की बात तब हुई जब कुमेरिया ने कथित तौर पर मुंबई से आए पार्टी पर्यवेक्षक से ओपन सीट का ‘एबी फॉर्म’ हासिल कर लिया और तिवारी से पहले जाकर अपना नामांकन दाखिल कर दिया। जब नितिन तिवारी अपना फॉर्म जमा करने पहुंचे, तब उन्हें पता चला कि कुमेरिया ने पहले ही बाजी पलट दी है। पार्टी ने बाद में तिवारी को भी एबी फॉर्म दिया, जिससे एक ही सीट पर पार्टी के दो आधिकारिक दावेदार नजर आने लगे।
शहर प्रमुख नितिन तिवारी ने इस पूरे घटनाक्रम को पार्टी के साथ ‘धोखाधड़ी’ करार दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राऊत और अनिल परब को पत्र लिखकर कुमेरिया की शिकायत की है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुमेरिया ने यह कदम भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रत्याशी विजय उर्फ पिंटू झलके को फायदा पहुँचाने के लिए उठाया है।
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तिवारी का दावा है कि प्रभाग-28 में शिवसैनिकों के दम पर पार्टी का मजबूत जनाधार है और पिछली बार यहाँ से 4 में से 2 सीटें मिली थीं। शिकायत में यह भी कहा गया है कि बीजेपी के साथ मिलीभगत कर शिवसेना को कई अन्य सीटों पर भी नुकसान पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है।
नागपुर शिवसेना में पहले ही कद्दावर नेताओं की कमी खल रही है, ऐसे में दो अनुभवी नेताओं की आपसी लड़ाई ने कार्यकर्ताओं को असमंजस में डाल दिया है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस लड़ाई का सीधा फायदा विपक्षी दलों को मिल सकता है। फिलहाल, नितिन तिवारी ने अपनी लिखित शिकायत में मामले की गहन जांच और कुमेरिया पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
अब गेंद उद्धव ठाकरे और मुंबई के वरिष्ठ नेताओं के पाले में है। क्या पार्टी किसी एक का नामांकन वापस लेने का आदेश देगी या दोनों के बीच समझौता कराएगी? इस फैसले पर ही प्रभाग-28 में शिवसेना का भविष्य टिका है। शहर के राजनीतिक गलियारों में इस ‘एबी फॉर्म’ कांड की चर्चा जोरों पर है, और आने वाले 24 घंटे नागपुर यूबीटी शिवसेना की दिशा तय करेंगे।