(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Shalarth ID Scam: शालार्थ आईडी घोटाला मामले में जेएमएफसी-6 एके बनकर की कोर्ट ने वेतन इकाई में क्लर्क के पद पर कार्यरत गोंदिया निवासी सुमेद वाकड़े की पुलिस हिरासत की मांग को खारिज करते हुए सशर्त जमानत दे दी। आरोप है कि भावना राऊत ने शिक्षिका के रूप में नियुक्ति प्राप्त की। राऊत की वेतन आईडी वाकड़े द्वारा तैयार किए गए जाली नियुक्ति आदेश से पर बनाई गई थी। आरोप यह भी है कि इसके लिए वाकड़े ने राऊत से 5 लाख रुपये लिए थे। इन आरोपों पर सदर पुलिस ने गोंदिया से सुमेद को गिरफ्तार किया था।
शुक्रवार को आईओ मनीष ठाकरे द्वारा सुमेद को कोर्ट पेश किया गया और 12 अगस्त तक पुलिस हिरासत की अपील की थी। बचाव पक्ष की पैरवी कर रहे वकीलों एडवोकेट कमल सतुजा, एडवोकेट कैलाश डोडानी, एडवोकेट विजय गुप्ता और एडवोकेट अनमोल गोस्वामी ने कोर्ट को बताया कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है। उनकी गिरफ्तारी भी अवैध है क्योंकि उन्हें गुरुवार को गोंदिया में लगभग 2.30 बजे हिरासत में लिया गया और उन्हें नागपुर लाया गया।
नागपुर के सदर पुलिस स्टेशन में रात 10.30 बजे गिरफ्तारी दिखाई गई और इन 8 घंटों के अंतराल के लिए कोई औचित्य नहीं है और न ही निकटतम मजिस्ट्रेट से कोई अनुमति ली गई है। गिरफ्तारी का आधार भी रिश्तेदार को लिखित में नहीं दिया गया। मेडिकल भी गोंदिया में नहीं किया गया। यह लगभग 10 घंटे बाद नागपुर में किया गया।
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एडवोकेट सतुजा और एडवोकेट डोडानी ने कोर्ट को बताया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध है और पीसीआर को खारिज करने के बाद उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए। जांच अधिकारी ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि गिरफ्तारी कानूनी है। उन्होंने आगे की पूछताछ के लिए वाकड़े के पीसीआर की मांग की। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने वाकड़े को सर्शत जमानत दे दी।
बता दें की बोगस शालार्थ आईडी और फर्जी शिक्षकों की नियुक्त कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने वाले जिला परिषद के शिक्षणाधिकारी सिध्देश्वर श्रीराम कालुसे (50) और रोहिणी विठोबा कुंभार (49) को न्यायालय ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। एसआईटी ने दोनों को गिरफ्तार कर प्रथम श्रेणी न्याय दंडाधिकारी (जेएमएफसी) से कस्टडी मांगी थी, लेकिन उक्त न्यायालय ने पुलिस की अपील खारिज कर दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने इसके खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की।