हाई कोर्ट ने दी राहत (फाइल फोटो)
Nagpur High Court: नागपुर हाई कोर्ट ने एक मामले में उन शिक्षकों को बड़ी अंतरिम राहत प्रदान की है जिन्हें मार्च 2025 से वेतन नहीं मिला था। न्या. एमएस जावलकर और न्या. राज वाकोडे ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए अगली सुनवाई तक शिक्षकों के वेतन भुगतान से संबंधित अंतरिम राहत देने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ताओं का वेतन बिल इस आधार पर लौटा दिया गया था कि उनकी शालार्थ आईडी (Shalarth ID) के आवंटन का सत्यापन करने की आवश्यकता है। सरोज मेंढे और अन्य शिक्षकों द्वारा दायर रिट याचिका के अनुसार, उनकी नियुक्ति को शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक), जिला परिषद, नागपुर द्वारा 1 अक्टूबर 2016 को विधिवत मंजूरी दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि उन्हें शालार्थ आईडी और 7वें वेतन आयोग के अनुसार वेतनमान भी दिया जा चुका है।
याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया कि जब स्कूल प्रबंधन ने मार्च और अप्रैल 2025 के लिए उनके वेतन बिल जमा किए तो जिला परिषद के वेतन और भविष्य निधि विभाग के अधीक्षक ने बिलों को यह कहकर लौटा दिया कि शिक्षकों को शालार्थ आईडी कैसे प्रदान की गई, इसका सत्यापन किया जाना है।
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याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि उन्हें मार्च 2025 से वेतन नहीं मिला है, जबकि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि वे आज भी स्कूल में काम कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधि। केतकी जोशी और राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील एसएस जाचक ने पैरवी की। उल्लेखनीय है कि शालार्थ आईडी घोटाला उजागर होने के बाद से 632 शिक्षकों को मार्च से वेतन नहीं मिला है जिससे कुछ शिक्षकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।