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नागपुर. व्यापारिक लेन-देन में चेक से भुगतान करने के बाद उसकी अदायगी नहीं होने पर जीएस चंडोक एंड सन्स ने निगोशिएबल इन्स्ट्रूमेंट एक्ट 1881 की धारा 138 के तहत मामला दर्ज किया. इस पर सुनवाई के बाद जिला सत्र न्यायालय की विशेष अदालत के न्यायाधीश गजाला अल-अमोदी ने एक माह के भीतर पैसे लौटाने अन्यथा 6 माह की जेल होने के आदेश जारी किए.
शिकायतकर्ता की ओर से अधि. राजेन्द्र शाहू और अधि. गुरुप्रीत सिंह चंडोक और आरोपी की ओर से अधि. एनआर गांधी ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार शिकायतकर्ता कंपनी टायर के होलसेल व्यापार में है. उधार में टायर खरीदने के लिए आरोपी इंद्रजीत सिंह सैनी ने चंडोक कंपनी के मालिक हरप्रीत सिंह चंडोक से सम्पर्क किया था. जान-पहचान होने के कारण कंपनी ने उधारी पर उसे टायर उपलब्ध कराए.
उधारी पर लगातार लेन-देन होता रहा जिसके लिए आरोपी का खाता तैयार किया गया. समय-समय पर ली गई उधारी का ब्योरा खाता में लिख दिया गया. 34,300 रु. उधारी होने पर सैनी ने 30 दिनों के भीतर उधारी चुकता करने का आश्वासन दिया. यदि नहीं दिया गया तो 24 प्रतिशत ब्याज की दर से उधारी का भुगतान करने का आश्वासन भी दिया. इसके लिए उसने एक चेक भी अदा किया लेकिन भुगतान के लिए बैंक में चेक जमा करने पर खाता बंद होने का कारण देकर चेक वापस लौटा दिया गया. इससे आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई. अदालत ने आदेश में एक माह के भीतर 50,000 रु. का भुगतान करने के आदेश सैनी को दिए.
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओर से बताया गया कि ट्रक खरीदने के लिए गारंटी के रूप में ब्रोकर को यह विवादित चेक अदा किया गया था. इस संदर्भ में अदालत ने कहा कि किस ब्रोकर को चेक दिया गया. अपनी पूरी दलील में आरोपी ने उसके नाम का कहीं भी खुलासा नहीं किया. यहां तक कि जिसे चेक दिया गया था, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. यदि ब्रोकर द्वारा चेक का दुरुपयोग किया गया था तो आरोपी ने तुरंत पुलिस में उसकी शिकायत कर चेक वापस मांगना चाहिए था. यहां तक कि ट्रक खरीदने के लिए शिकायतकर्ता ने किस वित्तीय कंपनी से कर्ज ले रहा था, उसके नाम का भी खुलासा नहीं किया गया. अत: गारंटी के रूप में चेक दिए जाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.