नितिन गडकरी - देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Letter to Government: पिछले अनेक वर्षों से अस्थायी रूप से कार्य कर रही राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान की एक महिला कर्मचारी ने समायोजन से वंचित होने के चलते इच्छा मृत्यु की मांग की है। इस संबंध में स्वास्थ्य सेवा आयुक्त को पत्र भेजा है। इस महिला कर्मचारी की तरह ही करीब 50 अन्य महिलाएं कर्मचारी हैं जिन्हें समायोजन की प्रतीक्षा है।
अभियान के अंतर्गत जिला परिषद में कार्यरत महिला कर्मचारी पिछले 19 वर्षों से ठेका पद्धति पर सेवा दे रही हैं। पत्र में कर्मचारी ने बताया कि यदि 10 दिसंबर तक समायोजन करने संबंधी आदेश नहीं मिला तो वह 11 दिसंबर को इच्छा मृत्यु को अपना लेंगी।’
सितंबर में सार्वजनिक स्वास्थ्य के विषयों को लेकर हुई बैठक में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर सहित स्वास्थ्य विभाग के सभी आला अधकारियों की उपस्थित मातृ वंदना योजना के ठेका कर्मचारियों को शामिल करने का प्रस्ताव देने के लिए अभियान के सहसंचालक को निर्देश दिया गया था लेकिन 4 महीने बीत जाने के बाद भी प्रस्ताव भेजा नहीं गया है।
समायोजन को लेकर अब तक कई बार पत्र व्यवहार किया। अस्थायी होने के बाद भी 4-5 महीने तक मानधन नहीं मिलता। परिवार का खर्च कैसे चलाएं? यह सवाल पैदा हो गया है। फिलहाल प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की जिला कार्यक्रम समन्वयक पद पर कार्यरत महिला का 16 वर्षीय बेटा व 11 वर्षीय बेटी है। पति दुर्घटना में जख्मी होने के कारण असहाय है। उनके साथ ही 48 कर्मचारी हैं जिन्हें समायोजित नहीं किया गया है।
18 मार्च 2023 स्थायी करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री और जिला पालक मंत्री को पत्र दिया था। 22 अप्रैल 2023 को परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान के संचालक ने उपसंचालक, जिप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र दिया।
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14 मार्च 2024 को अभियान के अंतर्गत 10 वर्ष व इससे अधिक कालावधि तक सेवा देने वाले पात्र कर्मचारियों को सीधे समकक्ष सेवा में शामिल करने की अधिसूचना जारी की गई। 19 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री सचिवालय से एक पत्र स्वास्थ्य विभाग के सचिव को दिया गया। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत 10 साल या इससे अधिक कालावधि से सेवा करने वाले कर्मचारियों का समायोजन करने के लिए सूचित किया गया।
इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी समायोजित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर को पत्र लिखा भेजा था लेकिन किसी भी पत्र व्यवहार पर दखल नहीं ली गई। यही वजह है कि अब महिला कर्मचारी हताश होकर इच्छा मृत्यु को स्वीकार करना चाहती है।