
नहीं दी इच्छा मृत्यु की अनुमति (सौजन्यः सोशल मीडिया)
Nagpur NHM Workers: राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान में अनेक वर्षों से अस्थायी रूप से कार्यरत महिला व पुरुष कर्मचारियों ने समायोजन से वंचित किए जाने के चलते इच्छा मृत्यु की मांग की थी। इस संबंध में उन्होंने स्वास्थ्य सेवा आयुक्त को पत्र भी भेजा था। मीडिया में मामला सामने आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और समायोजन प्रक्रिया विचाराधीन होने के कारण इच्छा मृत्यु की अनुमति को रद्द कर दिया गया।
समायोजन की मांग को लेकर कर्मचारी कई वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। कुछ कर्मचारी तो 15-20 वर्ष की सेवा के बाद अब सेवानिवृत्ति की कगार पर पहुंच चुके हैं। जिला परिषद की प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) में कार्यरत रज्जू परिपगार और नीलेश अडूलकर ने सरकारी नीतियों से त्रस्त होकर इच्छा मृत्यु की मांग की थी।
सहसंचालक कार्यालय की ओर से स्पष्ट किया गया कि कर्मचारियों के राष्ट्रीय आरोग्य अभियान (NHM) के अंतर्गत समायोजन का विषय विचाराधीन है और इसके लिए नियमानुसार कार्यवाही जारी है। कार्यवाही पूर्ण होते ही अंतिम निर्णय की जानकारी संबंधित कर्मचारियों को दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि दोनों कर्मचारियों ने 10 दिसंबर तक समायोजन न होने पर 11 दिसंबर को इच्छा मृत्यु स्वीकार करने की घोषणा की थी। शीतकालीन सत्र से पहले कर्मचारियों का यह कदम प्रशासन में हड़कंप मचा गया। वर्षों से अस्थायी कर्मचारियों पर ठोस निर्णय न लेने से असंतोष लगातार बढ़ रहा है।
बता दें कि 18 मार्च 2023 स्थायी करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री और जिला पालक मंत्री को पत्र दिया था। 22 अप्रैल 2023 को परिवार कल्याण विभाग के आयुक्त व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान के संचालक ने उपसंचालक, जिप मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला सिविल सर्जन, जिला स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र दिया।
ये भी पढ़े: वानाडोंगरी में बोगस वोटिंग का मामला उजागर, पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने पेश किए सबूत
14 मार्च 2024 को अभियान के अंतर्गत 10 वर्ष व इससे अधिक कालावधि तक सेवा देने वाले पात्र कर्मचारियों को सीधे समकक्ष सेवा में शामिल करने की अधिसूचना जारी की गई। 19 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री सचिवालय से एक पत्र स्वास्थ्य विभाग के सचिव को दिया गया। इसमें राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत 10 साल या इससे अधिक कालावधि से सेवा करने वाले कर्मचारियों का समायोजन करने के लिए सूचित किया गया।
इतना ही नहीं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी समायोजित करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर को पत्र लिखा भेजा था लेकिन किसी भी पत्र व्यवहार पर दखल नहीं ली गई। यही वजह है कि अब महिला कर्मचारी हताश होकर इच्छा मृत्यु को स्वीकार करना चाहती है।






