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नागपुर. नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक (एनडीसीसी) में हुए कथित घोटाले को लेकर सुनील केदार सहित 6 लोगों को सजा सुनाई गई. साथ ही 12.50 लाख रु. का जुर्माना भी ठोंका गया. मामले में केदार की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी. इसके बाद वह जमानत पर रिहा हो गए. निचली अदालत में अन्य 5 आरोपियों का मामला अटका रहा. निचली अदालत से इन 5 आरोपियों को राहत नहीं मिलने के कारण अमित वर्मा, अशोक चौधरी, नंदकिशोर त्रिवेदी और सुबोध भंडारी की ओर से हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं जिस पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सभी पक्षों की दलीलें खत्म होने के बाद हाई कोर्ट ने सभी मामलों को ‘क्लोज फार ऑर्डर’ कर दिया. अब इन चारों के संदर्भ में जल्द ही फैसला सुनाया जाएगा.
उल्लेखनीय है कि जहां इन चारों ने सजा पर रोक लगाने की मांग की वहीं जमानत के लिए भी अर्जी दायर की गई. सजा पर रोक तथा जमानत के लिए दायर अर्जी पर बचाव पक्ष और सरकारी पक्ष की ओर से दलीलें रखी गईं. कुछ मामलों में बचाव पक्ष के वकीलों का मानना था कि एक ही धारा के तहत कुछ अभियुक्तों को निचली अदालत से ही राहत दी गई जबकि उसी धारा के तहत उन्हें आरोपी करार दिया गया. यहां तक कि जिन गवाहों के बयानों के मद्देनजर सजा सुनाई गई वहीं आधार उनकी दलीलों का है.
आरोपियों की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाओं में कई तरह के तथ्य दिए गए हैं. प्रत्येक याचिका में अलग-अलग तथ्य होने के बावजूद इसी मामले के अन्य आरोपी रहे सुनील केदार को दी गई राहत का उदाहरण भी दिया गया है. हाई कोर्ट की इसी बेंच द्वारा दिए गए फैसले को भी याचिका के साथ रखा जा रहा है. अमित वर्मा की ओर से दायर अर्जी में बताया गया कि जिन आरोपों में निचली अदालत ने कुछ अभियुक्तों को राहत प्रदान की उन्हीं आरोपों में उसे सजा सुनाई गई है. इसी तरह से कुछ गवाहों के बयान को गलत ढंग से स्वीकार किया गया है.