सुनील केदार
नागपुर. एनडीसीसी बैंक घोटाले में सजा को चुनौती देते हुए सुनील केदार और अन्य की ओर से अपील दायर की गई. 4 दिन पहले ही अपील पर दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने इसे फैसले के लिए आरक्षित किया था. गुरुवार को इस संदर्भ में फैसला सुनाया जाना था लेकिन सत्र न्यायाधीश आरएस पाटिल (भोसले) ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद 30 दिसंबर तक के लिए फैसला टाल दिया. उल्लेखनीय है कि सुबह 11 बजे फैसला सुनाए जाने के पूर्व सरकार की ओर से अर्जी दायर की गई जिसमें कुछ दलीलें रखने का मौका देने का अनुरोध किया गया जिसके बाद अदालत ने 3 बजे तक सुनवाई टाल दी. 3 बजे सुनवाई शुरू होने के बाद सरकारी पक्ष की ओर से पैरवी करने वाले अधि. अजय मिसर वीसी के माध्यम से उपस्थित नहीं हो पाए जिससे कुछ देर के लिए सुनवाई स्थगित की गई.
देर शाम को मुंबई से अधि. मिसर वीसी द्वारा पैरवी करने उपस्थित हुए. उन्होंने कहा कि केदार ने जहां सत्र न्यायालय में आवेदन किया है वहीं हाई कोर्ट में भी जमानत के लिए आवेदन किया है. केदार की ओर से पैरवी कर रहे अधि. देवेन चौहान ने कहा कि सत्र न्यायालय में उनके आवेदन पर सुनवाई नहीं हुई है जिससे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. इसकी जानकारी कोर्ट को नहीं दी गई इसमें किसी तरह का अपराध नहीं है. सजा सुनाए जाने के बाद 26 दिसंबर को फैसले की कापी नहीं दी गई. जमानत के लिए सत्र न्यायालय में आवेदन किया. साथ ही हाई कोर्ट में भी आवेदन किया है. अत: हमें पक्ष रखने का मौका दिया जाए.
सरकार की दलीलों का विरोध करते हुए अधि. चौहान ने कहा कि केदार को आजीवन कारावास या 10 वर्ष की सजा नहीं हुई है. ऐसे में सरकार द्वारा अर्जी पर सुनवाई का मौका मांगना तर्कसंगत नहीं है. उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले जिला न्यायालय के मुख्य सरकारी वकील नितिन तेलगोटे ने अर्जी दायर की थी जिसमें अभियोजन पक्ष की ओर से विस्तृत जवाब दायर करने की अनुमति मांगी गई थी. यहां तक कि ऐसे मामलों को लेकर अब तक हुए फैसलों की जानकारी रखने के लिए 1 जनवरी तक का समय देने का अनुरोध भी किया गया. गुरुवार को सुनवाई के बाद अब अदालत ने शनिवार तक के लिए फैसला टाल दिया.