प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: Meta AI)
नागपुर: महाराष्ट्र में बोगस शालार्थ आईडी का मुद्दा चर्चा का बना हुआ है। इस बीच एक शिक्षण संस्था के पदाधिकारियों ने षडयंत्र रचकर एक शिक्षिका की पदोन्नति रोक दी। जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षा अधिकारी ने भी इस षडयंत्र में साथ दिया। अब हुड़केश्वर पुलिस ने शिक्षिका की शिकायत पर शिक्षणाधिकारी सहित दिघोरी स्थित सर्वश्री उच्च प्राथमिक शाला के पदाधिकारी और पूर्व मुख्याध्यापक के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
आरोपियों में शिक्षाधिकारी सिद्धेश्वर कालुसे, संगीता विश्वनाथ रहाटे, शाला के सचिव राजेश काशीनाथ मासूरकर, भारती दीपकराव खड़से, ऐश्वर्या राजेश मासूरकर, प्रकाश काशीनाथ मासूरकर, सुनील उदयभान तायवाड़े, सुनीता लक्ष्मणराव झोड़े और अरुणा रमेश बांते का नाम शामिल है।
पुलिस ने विट्ठलनगर, हुड़केश्वर निवासी नीलकमल कृपाकर बोरकर (45) की शिकायत पर मामला दर्ज किया। पुलिस के अनुसार वर्ष 2005 में नीलकमल दिघोरी के सर्वश्री प्राथमिक शाला में शिक्षिका नियुक्त की गईं। सितंबर 2023 में स्कूल की मुख्याध्यापिका अरुणा बांते सेवानिवृत्त हुईं। उस समय मराठी शाला में विद्यार्थियों की संख्या 93 थी। 3 अक्टूबर को नीलकमल स्कूल में पढ़ाने गईं तो उनके स्कूल में बच्चे ही नहीं थे।
स्कूल के संचालक सचिव राजेश मासूरकर ने बच्चे नहीं होने के कारण उन्हें अतिरिक्त बताकर सेवा समाप्त करने की बात कही। इसी दौरान संचालकों ने मिलीभगत करके हेमराज धोटे को मुख्याध्यापक नियुक्ति करने का प्रस्ताव शिक्षण विभाग को भेज दिया। सेवा ज्येष्ठता में नीलकमल आगे होने के बावजूद संयुक्त समिति ने यह निर्णय लिया।
नीलकमल ने संचालक से सेवा पुस्तिका मांगी तो वह टालमटोल करने लगे। उन्हें 6 माह का वेतन भी नहीं दिया गया। अरुणा बांते सेवानिवृत्त होने के बावजूद प्रस्ताव बनाते समय उन्हें मुख्याध्यापक बताया गया। उन्हें वेतन भी दिया गया।
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नीलकमल ने आरटीआई के तहत सभी दस्तावेज जमाकर तत्कालीन उपसंचालक उल्हास नरड़ से शिकायत की। उन्होंने शिक्षणाधिकारी कालुसे को जिम्मेदार लोगों पर फौजदारी मामला दर्ज करवाने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रकरण को दबा दिया। आखिरकार नीलकमल ने मामले की शिकायत हुड़केश्वर पुलिस से की। पुलिस ने आपराधिक षडयंत्र सहित धोखाधड़ी की विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।