मनपा प्रभाग 10 (डिजाइन फोटो)
Nagpur Prabhag 10 Reservation: नागपुर महानगरपालिका के दायरे में होने वाले विकास कार्यों के अनुसार प्रभाग-10 में वैसे तो मूलभूत सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। आम तौर पर हर रोज होने वाली छोटी-मोटी परेशानियां होती रहती हैं किंतु कोई जटिल समस्या नहीं है। प्रभाग विकसित तो है किंतु अब छावनी, गोरेवाड़ा, पेंशननगर, मानकापुर जैसे इलाके में योजनाओं की दरकार है।
पुराने मानकापुर में तमाम सुविधाएं हैं किंतु न्यू मानकापुर जैसे इलाके में बड़ी योजनाओं का इंतजार है। यह मानना है कि पूर्व पार्षदों का जिन्होंने गत 5 वर्षों में प्रभाग की जनता की हरसंभव समस्याएं सुलझाने का दावा किया है। कुछ पूर्व पार्षदों का मानना है कि यहां पर झोपड़पट्टी का क्षेत्र काफी कम है। जहां कुछ समस्याएं निश्चित ही हैं।
इन लोगों को श्रमसाफल्य योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी सुविधाएं देकर मुख्यधारा में लाया जा सकता है। प्रभाग में निजी स्कूलों का जाल है किंतु इन लोगों के लिए जिस तरह से अन्य हिस्सों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल शुरू करने का प्रयास हो रहा है उसी तर्ज पर इस क्षेत्र में भी शिक्षा के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए जिससे यहां के लोगों का भविष्य बन सकेगा।
लगभग 60,000 की जनसंख्या वाले इस प्रभाग में अनुसूचित जाति की जनसंख्या 8,129 मात्र है। इसी तरह से अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या भी केवल 4,876 है। 5,000 से अधिक संख्या नहीं होने के बावजूद यहां पर एसटी के लिए प्रभाग आरक्षित है। इसी तरह से अनुसूचित जाति के लिए भी एक सीट आरक्षित हो गई है। लॉटरी में निकले आरक्षण से अब इन सीटों पर सक्षम प्रत्याशियों को उतारने की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों पर है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो एससी आरक्षित सीटों पर तो इच्छुकों की दौड़ हो सकती है किंतु एसटी आरक्षित सीट के लिए सर्वप्रथम संबंधित व्यक्ति के पास जाति वैधता प्रमाणपत्र होना अनिवार्य है। यही कारण है कि अभी से राजनीतिक दल अच्छे प्रत्याशी की खोज में जुटे हुए हैं। माना जा रहा है कि आरक्षण की लॉटरी सही मायने में इस प्रभाग में लॉटरी की तरह निकली है जिससे इन वर्गों के इच्छुकों में उत्साह बना हुआ है।
| जीतने वाले प्रत्याशी | वोट्स | दूसरे नंबर के प्रत्याशी | वोट्स |
|---|---|---|---|
| साक्षी राऊत | 9,456 | कृपाली मेंढे | 9,015 |
| रश्मि धुर्वे | 9,577 | अरविंद गेडाम | 8,661 |
| नीतेश ग्वालंबशी | 9,084 | रमेश चोपडे | 9,016 |
| गार्गी चोपडा | 10,981 | चंदा ठाकुर | 6,495 |
कांग्रेस :- साक्षी राऊत, रश्मि धुर्वे, गार्गी चोपड़ा, प्रमोद ठाकुर, अरुण डवरे, मंजू चाचेरकर, अभय राऊत।
भाजपा :- अरविंद गेडाम, रमेश चोपडे, चंदा ठाकुर, गिरीश ग्वालबंशी, कमलेश पांडे, मोना ठाकुर, शीला मोहोड।
| वर्ग | संख्या |
|---|---|
| कुल जनसंख्या | 59,260 |
| अनुसूचित जाति (SC) | 8,129 |
| अनुसूचित जनजाति (ST) | 4,876 |
| ओबीसी (OBC) | 22,000 |
| मुस्लिम | 18,000 |
| अन्य | 4,000 |
10-अ अनुसूचित जनजाति (महिला)
10-ब अनुसूचित जनजाति (पुरुष)
10-क ओबीसी (महिला)
10-ड सर्वसाधारण (पुरुष)
प्रभाग-10 में अब तक कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर रही है। वर्ष 2017 में हुए चुनाव में भले ही चारों सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की हो किंतु केवल गार्गी चोपड़ा की सीट को छोड़ दिया जो तो तीनों सीटों पर काफी कम वोटों का अंतर रहा है। प्रभाग-10ड में गार्गी चोपडा ने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के प्रत्याशी चंदा ठाकुर पर 4,486 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी, जबकि प्रभाग-10अ में साक्षी राऊत ने मात्र 441 वोटों के फरक से जीत हासिल की थी।
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इसी तरह से प्रभाग-10ब में भी जीत का अंतर केवल 916 वोटों का ही थी। आश्चर्यजनक यह था कि प्रभाग-10सी में जीत का फर्क मात्र 68 वोटों का था जिसमें रमेश चोपडे को हार देखनी पड़ी थी किंतु यह भी देखने लायक है कि इन चारों प्रभागों में कांग्रेस में सेंध लगाने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी थी। चारों प्रभागों में से 3 प्रभागों में राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रत्याशियों ने 2,500 से अधिक वोट हासिल किए थे, जबकि एक प्रभाग में तो 4,000 से अधिक वोट लिए थे। इस वजह से चोपडे की हार मात्र 68 वोटों से हुई थी।
पेंशननगर, न्यू मानकापुर, छावनी और गोरेवाड़ा का यह क्षेत्र अधिकांशत: हिन्दीभाषियों का ही गढ़ माना जाता है। राजनीतिक परिवेश में हिन्दीभाषियों का झुकाव भाजपा की ओर देखा जाता रहा है किंतु लंबे समय से इस प्रभाग के मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की ओर ही रहा है। यही कारण है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस भी प्रतिद्वंद्वी की तरह होने के बावजूद कांग्रेस ने यहां पर आसानी से जीत दर्ज की।
अब 2017 की स्थिति काफी बदल गई। यहां तक कि गत 7 वर्षों से विधानसभा की सीट पर भी कांग्रेस का कब्जा है जिससे हमेशा की तरह यहां पर कांग्रेस के लिए आसानी होने की उम्मीद जताई जा रही है, जबकि कुछ राजनीतिकों का मानना है कि लंबे समय से भाजपा इस हिस्से में जुटी हुई है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।