प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: AI)
नागपुर: शिक्षा अधिकार कानून के तहत बच्चों को दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा में बोगस दस्तावेजों के जरिए संपन्न परिवारों के बच्चों को प्रवेश दिलाने वाली शाहिद शरीफ गैंग के खिलाफ सदर पुलिस ने जांच पूरी कर ली है। पुलिस ने कुल 9 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में 13,048 पन्नों की चार्जशीट दायर की है। आरोपपत्र में प्रशांत हेडाउ, राजेश बुवाड़े, राजा जमशेद शरीफ, रुपाली धामगाए उर्फ रुकसार सैयद, रोहित पिल्ले, शुभम बुटे, अनिल मेश्राम, मंगेश झोटिंग और प्रदीप भांगे का समावेश है।
सरकार द्वारा शुरू की गई आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया में आरोपियों ने घोटाला किया। आरटीई के तहत अभिभावकों के चयन के बाद उक्त अभिभावकों ने अपने बच्चों के प्रवेश के लिए आवश्यक दस्तावेज समूह संसाधन केंद्र पंचायत समिति नागपुर में जमा किए।
प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक द्वारा 20 जनवरी 2023 के अनुसार दस्तावेजों को तालुका सत्यापन समिति के माध्यम से सत्यापित किया गया और छात्रों को ऑनलाइन आवेदन क्रमांक के बारे में सूचित किया गया।
सत्यापन समिति को जांच में पता चला कि अभिभावक प्रशांत हेडाउ ने वेलाहरी परिसर में स्थित पोद्दार स्कूल में फर्जी निवास प्रमाण प्रस्तुत किया और ऑनलाइन आवेदन क्रमांक 23NG039949 में राजेश बुवाडे ने रॉयल गोंडवाना पब्लिक स्कूल नागपुर में एक फर्जी निवास प्रमाण प्रस्तुत किया। तालुका सत्यापन समिति ने उल्लेखित अभिभावकों द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का सत्यापन किया और तुरंत बच्चों का प्रवेश रद्द कर दिया।
समूह शिक्षा अधिकारी कवडू दुर्गे की शिकायत पर नागपुर पुलिस ने हेडाउ, बुवाडे के खिलाफ सरकार को गुमराह करने और सरकार के साथ धोखाधड़ी करना का मामला दर्ज किया गया। उक्त अपराध की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया।
इंस्पेक्टर मनीष ठाकरे और उनकी टीम ने प्रकरण की जांच में मजबूत सबूत इकट्ठा किए। इस रैकेट का मास्टरमाइंड और मुखिया आरटीई एक्टिविस्ट शाहिद शरीफ निकला। वह मामला दर्ज होने के बाद से फरार है। पुलिस ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है।
उक्त मामले में अभियुक्तों के विरुद्ध की गई जांच में पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य, दस्तावेजी साक्ष्य और तकनीकी साक्ष्य प्राप्त किए हैं। साक्ष्य प्रस्तुत करने और अभियुक्तों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए कुल 13,048 पन्नों का आरोपपत्र तैयार कर न्यायालय में दाखिल किया गया।
इस मामले की जांच के दौरान पुलिस को सूचना मिली कि शाहिद और उसके भाई राजा शरीफ ने अपने घर में घातक हथियार रखे हुए हैं। उनके खिलाफ मिट्टीखदान थाना में आर्म्स एक्ट सहित विविध धाराओं के तहत 2 मामले दर्ज किए गए। साथ ही अपराध की जांच के दौरान राजा शरीफ और रोहित पिल्ले के खिलाफ सबूत इकट्ठा किए गए। इस बीच आरोपियों के खिलाफ बाल लैंगिक शोषण का मामला भी दर्ज किया गया।
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राजा के मोबाइल की जांच के दौरान जंगली जानवरों का शिकार किए जाने का पता चला। राजा शरीफ और उसके अन्य साथियों ने मध्य प्रदेश के जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार किया था। इसकी जानकारी जबलपुर वन विभाग को दी गई थी। उनके खिलाफ मोहकामा वन, मध्य प्रदेश में भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
सदर थाना में दर्ज अपराध में आरोपी राजा शरीफ की कार भी जब्त की गई। जब जबलपुर वन विभाग के अधिकारियों ने फॉरेंसिक लैब के अधिकारियों के साथ जांच की तो उसमें शिकार में प्रयुक्त गोलियों के खाली खोखे, जंगली जानवरों के बाल और मछलियों के अवशेष मिले। राजा जमशेद शरीफ के खिलाफ एकत्र किए गए सबूतों के आधार पर वह अभी भी जबलपुर जेल में बंद है।