
MVA Alliance Breaks:नागपुर मनपा चुनाव में महाविकास आघाड़ी (सोर्सः सोशल मीडिया)
Nagpur Municipal Election: नागपुर में भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के उद्देश्य से महाविकास आघाड़ी में शामिल प्रमुख दल कांग्रेस ने पहले अपने सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया था। कांग्रेस के शहर अध्यक्ष ही नहीं, बल्कि कई वरिष्ठ नेता भी इसी तैयारी में नजर आ रहे थे।
हालांकि, कांग्रेस ने जिस तरह से अपने दोनों सहयोगी दलों को ऐन वक्त पर दरकिनार किया, उससे यह उसकी पूर्वनियोजित रणनीति ही प्रतीत होती है। नागपुर में कांग्रेस ने सभी 151 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं। उद्धव ठाकरे की शिवसेना द्वारा मुंबई में मनसे के साथ गठबंधन किए जाने के बाद कांग्रेस ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह नागपुर में उद्धव सेना को साथ नहीं लेगी।
इसके बावजूद कांग्रेस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के साथ गठबंधन की संभावना अंतिम समय तक बनाए रखी और नामांकन की अंतिम तारीख से ठीक पहले रात 3 बजे तक कोई अंतिम निर्णय नहीं सुनाया। इसके चलते राकांपा (शप) ने भी अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला कर लिया। परिणामस्वरूप महाविकास आघाड़ी टूट गई और कांग्रेस के खिलाफ दोनों सहयोगी दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में भारी रोष देखने को मिल रहा है।
अंदरखाने की जानकारी के अनुसार सोमवार रात 10 बजे से लेकर रात 3 बजे तक राकांपा के एक वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री ने कांग्रेस नेतृत्व से सीटों को लेकर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन फोन कॉल तक रिसीव नहीं की गई। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पहले राकांपा के लिए 15 सीटें छोड़ने पर सहमत थी और टिकट वितरण का फॉर्मूला भी तय हो चुका था, लेकिन अंतिम समय पर कांग्रेस नेताओं ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
इसके बाद राकांपा ने 79 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया और उन्हें एबी फॉर्म भी वितरित कर दिए। स्थानीय नेताओं का आरोप है कि कांग्रेस आखिरी समय तक राकांपा को राजनीतिक रूप से कमजोर करने की कोशिश करती रही। हालांकि, पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने रात 3 बजे सक्रिय होकर अपने उम्मीदवारों के नाम अंतिम रूप दिए।
राकांपा शहर अध्यक्ष दुनेश्वर पेठे ने कहा कि कांग्रेस के साथ समविचारी दल के रूप में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला भाजपा को सबक सिखाने के लिए लिया गया था, लेकिन अब इस निर्णय का नुकसान कांग्रेस को ही उठाना पड़ेगा।
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इधर, महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने भी 58 उम्मीदवारों को एबी फॉर्म वितरित किए हैं। पहले शिवसेना ने कांग्रेस से 22–23 सीटों की मांग की थी। माना जा रहा था कि कांग्रेस कम से कम शिवसेना और राकांपा को 12–12 सीटें दे सकती है, लेकिन कांग्रेस ने मनपा में 100 सीटों का लक्ष्य तय करते हुए दोनों दलों को पूरी तरह किनारे कर दिया।
आघाड़ी टूटने के बाद उद्धव सेना ने 58 एबी फॉर्म बांटे हैं, लेकिन बताया जा रहा है कि जिन उम्मीदवारों ने पहले ही निर्दलीय के रूप में नामांकन दाखिल किया है, उनके लिए एबी फॉर्म मान्य नहीं होगा। ऐसे में वास्तविक उम्मीदवारों की संख्या कम हो सकती है। अब यह सवाल राजनीतिक गलियारों में जोर पकड़ रहा है कि आघाड़ी टूटने से किसे फायदा होगा और किसे नुकसान। इतना तय है कि नागपुर मनपा चुनाव अब पूरी तरह बहुकोणीय मुकाबले में बदल चुका है।






