मानेवाड़ा चौक में लगे जाम का दृश्य (सोर्स: सोशल मीडिया)
Nagpur Traffic Jam News: नागपुर शहर के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से एक मानेवाड़ा चौक पर ट्रैफिक का बैंड बज गया है। यहां हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं लेकिन यातायात पुलिस का ध्यान यातायात सुचारु रखने की बजाय चालान कार्रवाई करने पर ज्यादा है। वहीं महानगरपालिका भी कुंभकर्णी नींद में है क्योंकि यहां चल रहे पुल के निर्माण कार्य के चलते सड़क आधी हो गई है।
भारी संख्या में यहां वाहनों की आवाजाही होती है लेकिन सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे हैं। दोपहिया वाहन चालकों का तो चलना मुश्किल हो गया है क्योंकि बीच सड़क पर गटर के ढक्कन उखड़े हुए हैं। न जाने कब कोई हादसे का शिकार हो जाए। लेकिन प्रशासन को आम नागरिकों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है।
आश्चर्य की बात यह है कि पुलिस और महानगरपालिका दोनों ही विभागों के अधिकारियों को यह समस्या दिखाई नहीं देती। केबिन में बैठकर शहर संभालने से समस्या हल नहीं होने वाली। इसके लिए अधिकारियों को रास्ते पर उतरना पड़ेगा। लेकिन सुस्त प्रशासन से क्या उम्मीद की जाए।
मानेवाड़ा चौक पर पुलिया का काम जोरशोर से किया जा रहा है। इसके लिए रिंग रोड पर चौराहे के दोनों तरफ आधी से ज्यादा सड़क घेरकर बैरिकेड लगाए गए हैं। अब महज 15 फुट की जगह बची है। ऐसे में भारी आवाजाही वाले इस मार्ग पर यातायात सुचारु रखना पुलिस की जिम्मेदारी है।
चौराहे के करीब ही महानगरपालिका की बसों का स्टॉपेज है। यहां बस स्टॉप भी बनाया गया है। अब जब सड़क पर चलने की जगह ही नहीं बची है तो यहां सिटी बसें भी नहीं रुकनी चाहिए। जब तक काम पूरा नहीं हो जाता, बसों का स्टॉपेज आगे बढ़ाने की जरूरत है लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। बसों के रुकते ही पूरा ट्रैफिक भी थम जाता है। पीछे वाहनों की कतार चौराहे तक लग जाती है।
चौराहे के दोनों तरफ ऑटो चालकों का जमावड़ा रहता है। सिटी के ऑटो चालक यातायात व्यवस्था सुचारु रखने में सहयोग करने के लिए कितने सजग हैं यह तो हर कोई जानता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वहीं चौराहे की दूसरी तरफ खड़े रहने वाले यातायात पुलिस के कर्मचारियों को ये सब दिखाई नहीं देता।
उदयनगर की ओर जाने वाले मार्ग पर ही नाश्ते के ठेले लगते हैं। इससे थोड़ी ही दूर पर मटेरियल सप्लायर के भारी और बोलेरो वाहन खड़े रहते हैं। उन पर किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं है।
यातायात पुलिस चाहे तो यह समस्या हल हो सकती है लेकिन यहां तैनात कर्मचारी केवल चालान कार्रवाई में जुटे रहते हैं। हेलमेट पहने हुए दोपहिया सवार को भी किसी न किसी कारण से रोक लिया जाता है। सुबह 8 बजे से ही यहां भारी संख्या में स्कूल बसों और वैन की आवाजाही होती है। इसके बाद कार्यालय जाने वाले लोग निकलते हैं।
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शाम के समय तो हालात बहुत ज्यादा खराब हो जाते हैं। कार्यालय, स्कूल और कॉलेज से लौटने वाले वाहनों को चौराहा पार करने के लिए 5 बार सिग्नल की बत्ती हरी होने का इंतजार करना पड़ता है। निर्माण कार्य के चलते संकरी हुई सड़क पर वाहनों की लंबी कतार लगती है।
यदि पुलिस खुद मैनुअली ट्रैफिक के फ्लो के हिसाब से आवाजाही करवाए तो नागरिकों की दिक्कतें कम होती है। चौराहे पर स्मार्ट सिटी के कैमरे लगे हैं। आश्चर्य की बात ये है कि एसी केबिन में बैठकर अधिकारी कैमरे से भी यातायात व्यवस्था संभालने में फिसड्डी दिख रहे हैं।