नीलामी में मिला मकरधोकड़ा IV कोयला ब्लॉक। (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड यानी डब्ल्यूसीएल को एमएसटीसी द्वारा आयोजित ई-नीलामी बोली प्रक्रिया के माध्यम से दहेगांव मकरधोकड़ा IV कोल ब्लॉक हासिल करने में सफलता मिली है। यह महत्वपूर्ण उपलब्धि वेकोलि की कोयला उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने तथा भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान देने के लिए चल रहे प्रयासों में एक मील का पत्थर है।
वेकोलि सफल प्रतिस्पर्धी बोली के बाद वाणिज्यिक कोयला ब्लॉक हासिल करने वाली कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की पहली सहायक कंपनी बन गई है। ई-नीलामी में वेकोलि की भागीदारी, इसके सक्रिय दृष्टिकोण और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने की तत्परता को दर्शाती है। कोयला उद्योग में प्रतिस्पर्धात्मक और समतापूर्ण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए इसकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।
सुरक्षित कोयला ब्लॉक दहेगांव मकरधोकड़ा IV नागपुर जिले के उमरेड कोलफील्ड में डब्ल्यूसीएल की चालू मकरधोकड़ा-1 ओसी और दिनेश (मकरधोकड़ा-III) ओसी खदानों के पास स्थित है। वेकोलि के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक जयप्रकाश द्विवेदी ने सफल आवंटन पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह अधिग्रहण कोयला उत्पादन बढ़ाने तथा देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के वेकोलि के रणनीतिक दृष्टिकोण के अनुरूप है। इस नए अधिग्रहण के अलावा डब्ल्यूसीएल निकटवर्ती मकरधोकड़ा और III ब्लॉकों से कोयले के संरक्षण और इष्टतम निष्कर्षण के लिए प्रतिबद्ध है।
यह उपलब्धि प्रतिस्पर्धी खनन अवसरों को पूरा करने तथा उत्कृष्टता एवं टिकाऊ खनन प्रथाओं को अपनाने के प्रति डब्ल्यूसीएल की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (जेएसपीएल), जिंदल पावर वाणिज्यिक खदानों की नीलामी के 11वें दौर में कोयला ब्लॉक हासिल करने वाली 10 कंपनियों में शुमार है। सरकार ने पिछले साल दिसंबर में वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खदानों की नीलामी का 11वां दौर शुरू किया था।
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इसमें कुल 27 ब्लॉक को बिक्री के लिए रखा गया था। झारखंड एक्सप्लोरेशन एंड माइनिंग कॉरपोरेशन, इनोवेटिव माइंस एंड मिनरल्स, सिंघल बिजनेस, प्रा. नूरवी कोल माइनिंग, माइनवेयर एडवाइजर्स, रूंगटा संस और न्यू एरा क्लीनटेक सॉल्यूशन ने भी नीलामी में कोयला खदानें हासिल की हैं। इन 12 खदानों में संयुक्त रूप से करीब 575.92 करोड़ टन का भंडार है। इनमें से आंशिक रूप से खोजी गई खदानों को छोड़कर अन्य की अधिकतम निर्धारित क्षमता (पीआरसी) 1.54 करोड़ टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) है।