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न नियम पता…न कानून का डर, ई-रिक्शा चालकों में 90% बढ़ोतरी, बच्चों को ट्रेनिंग, बुजुर्गों को कब?

Nagpur e-rickshaw driver: नागपुर में ई-रिक्शा चालकों की बड़ी संख्या बुजुर्ग और नियमहीन है। बच्चों को ट्रैफिक गार्डन ट्रेनिंग दी जा रही है। सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे है।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Dec 18, 2025 | 01:15 PM

नागपुर ट्रैफिक (सौजन्य-नवभारत)

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Nagpur Traffic Safety: महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक ने नागपुर शीतकालीन अधिवेशन के दौरान अपने जन्मदिन पर एक आकर्षक घोषणा की थी कि राज्य में जिन आरटीओ कार्यालयों के पास एक एकड़ जमीन उपलब्ध होगी वहां पर ‘ट्रैफिक गार्डन’ विकसित किए जाएंगे।

उद्देश्य बड़ा नेक बताया गया कि स्कूली बच्चों को ट्रैफिक नियम सिखाना, ताकि वे भविष्य में अच्छे वाहन चालक बनें और सड़क दुर्घटनाएं कम हों। सुनने में यह योजना जितनी चमकदार है, जमीनी सच्चाई में उतनी ही अधूरी और सवालों से घिरी हुई भी है।

परिवहन मंत्री से सीधा सवाल…

परिवहन मंत्री सरनाईक से सीधा सवाल है कि जब सड़कों पर आज सबसे बड़ा खतरा बने ई-रिक्शा चालकों को नियम ही नहीं पता, तो बच्चों को ट्रेनिंग देने की प्राथमिकता क्यों? और वह भी तब, जब ई-रिक्शा चालकों का बड़ा हिस्सा बुजुर्गों का है, जो न तो ट्रैफिक नियमों से परिचित हैं और न ही बदलती सड़क व्यवस्था से तालमेल बिठा पा रहे हैं।

हाईवे पर चलाने की अनुमति ही नहीं

खास बात यह कि नागपुर सहित महाराष्ट्र और पूरे देश के अधिकांश शहरों में ई-रिक्शा ‘फीडर सर्विस’ के नाम पर शुरू हुए थे। इनका मकसद रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप या मेट्रो स्टेशन से नजदीकी बस्तियों तक यात्रियों को पहुंचाना था लेकिन आज ई-रिक्शा हर सड़क, हर चौक और यहां तक कि राष्ट्रीय व राज्य महामार्गों पर भी बेधड़क दौड़ते नजर आते हैं।

नियमों के मुताबिक ई-रिक्शा को हाईवे पर चलने की अनुमति ही नहीं है, लेकिन जमीनी हकीकत में ओवरलोडिंग, डंके की चोट पर सवारियां भरकर रांग साइड से चलना, सिग्नल जम्प करना इनके लिए ये सब कुछ सामान्य हो चुका है।

‘दया भाव’ की बलि आम नागरिक

अगर कहीं ई-रिक्शा वालों से दुर्घटना हो जाए तो ज्यादातर मामलों में दोष दूसरे वाहन चालक के सिर मढ़ दिया जाता है। चाहे ई-रिक्शा चालक गलत दिशा से आ रहा हो या सिग्नल तोड़ रहा हो, सहानुभूति हमेशा उसी के हिस्से में आती है। यह ‘अतिरिक्त दया भाव’ ही आज सड़कों पर अराजकता का बड़ा कारण बन चुका है। परिवहन मंत्री सरनाईक को यह समझना होगा कि सिर्फ चमकदार योजनाओं से ट्रैफिक नहीं सुधरता।

जब तक ई-रिक्शा चालकों के प्रति दिखाई जा रही यह ‘अंधी सहानुभूति’ खत्म नहीं होती, उनके लिए सख्त नियम, प्रशिक्षण और कार्रवाई लागू नहीं होती, तब तक सड़कें सुरक्षित नहीं होंगी। मौजूदा वक्त जैसा हाल रहा तो वाले वर्षों में न जाने कितनी जिंदगियां इसी ‘दया भाव’ और ‘अंधी सहानुभूति’ की बलि चढ़ती रहेंगी, चाहे कितने भी ट्रैफिक गार्डन बना लिए जाएं।

खतरे की घंटी बज चुकी है…

विभिन्न एजेंसियों के सर्वे और रिपोर्ट इस खतरे की ओर लगातार इशारा कर रहे हैं। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (एमओआरटीएच) की सड़क दुर्घटना रिपोर्टें बताती हैं कि शहरी इलाकों में थ्री-व्हीलर और ई-रिक्शा से जुड़ीं दुर्घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार भी छोटे वाणिज्यिक वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं में हर साल इजाफा दर्ज हो रहा है।

यह भी पढ़ें – नागपुर मनपा चुनाव: भाजपा अपने दम पर, महायुति लगभग टूटी! बैठक केवल औपचारिकता

वहीं कुछ स्वतंत्र सड़क सुरक्षा संगठनों और ट्रैफिक रिसर्च संस्थानों के सर्वे बताते हैं कि सड़कों पर ई-रिक्शा के अनियंत्रित संचालन के कारण दुर्घटनाओं का अनुपात चिंताजनक रूप से बढ़ा है। इन रिपोर्टों का एक साझा निष्कर्ष यही है कि ई-रिक्शा चालकों को न तो औपचारिक ट्रेनिंग मिलती है, न नियमित लाइसेंस परीक्षण और न ही ट्रैफिक नियमों की अपडेट जानकारी।

अधिकांश चालक वृद्ध हैं, जिनके लिए नई तकनीक, नये नियम और तेज ट्रैफिक के साथ तालमेल बैठाना अपने आप में चुनौती है। शहर में हो रहीं सड़क दुर्घटनाओं में ई-रिक्शा की भागीदारी 78 प्रतिशत पहुंच चुकी है। ये आंकड़े बता रहे हैं कि खतरे की घंटी बज चुकी है। अब यदि निर्दोष नागरिकों को बचाना है तो केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक को इस विषय पर गंभीरता से योजना बनानी होगी।

  • नवभारत लाइव पर नागपुर से सतीश दंडारे की रिपोर्ट

Nagpur e rickshaw chalakon traffic training

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Published On: Dec 18, 2025 | 01:15 PM

Topics:  

  • Maharashtra
  • Nagpur
  • Nagpur News
  • Pratap Sarnaik
  • Traffic Safety

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