नागपुर के डेंटल सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की इमारत बनकर तैयार (फोटो नवभारत)
Nagpur Dental Super Speciality Hospital: नागपुर में शासकीय दंत महाविद्यालय व अस्पताल के अपग्रेडेशन के अंतर्गत सुपरस्पेशलिटी की इमारत का कार्य तो पूरा हो गया है लेकिन अब तक उद्घाटन नहीं हो सका है। लिफ्ट लग चुकी है। फर्नीचर भी धूल खा रहे हैं, जबकि उपकरणों के लिए जिला नियोजन समिति से पौने 6 करोड़ की प्रतीक्षा की जा रही है। 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही की वजह से अस्पताल शुरू नहीं हो सका है।
डेंटल के सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल की इमारत का कार्य लगभग पूरा हो गया है। 5वें मजले तक का निर्माण हो गया। वैसे अस्पताल का उद्घाटन जुलाई में ही होना था लेकिन अचानक अधिष्ठाता के तबादले के बाद पूरा काम अटक गया। अस्पताल के लिए करीब 109 नॉन टीचिंग पदों के लिए सरकार ने मंजूरी दे दी है। यह सभी पद ठेकेदारी पद्धति से भरे जाएंगे लेकिन अब तक टीचिंग के करीब 34 पदों को मंजूरी नहीं मिली है।
अस्पताल में लिफ्ट सहित इलेक्ट्रिक का काम भी हो गया है। फर्नीचर मिल गया और इन दिनों पड़ा हुआ है। अब उपकरणों का इंतजार किया जा रहा है। उपकरणों की खरीदी के लिए करीब पौने 6 करोड़ का प्रस्ताव जिला नियोजन समिति के समक्ष पड़ा है। समिति ने अब तक निधि को मंजूरी नहीं दी है। इस वजह से कार्यवाही आगे नहीं बढ़ सकी है। इस ओर तत्कालीन अधिष्ठाता सहित प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लग रहा है कि इस वर्ष भी अस्पताल शुरू नहीं हो सकेगा।
सुपरस्पेशलिटी होने से आधुनिक तकनीक का उपयोग हो सकेगा। इससे एक ओर जहां इलाज का अपग्रेडेशन होगा तो दूसरी ओर स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के छात्रों को बेहतरीन प्रशिक्षण भी मिल सकेगा। नई इमारत में ओरल इम्प्लान्टोलॉजी, एथेस्टिक डेंटिस्ट्री, क्रेनियोफेशियल सर्जरी, डिजिटल (रोबोटिक) डेंटिस्ट्री, फोरेंसिक आंट्रोलॉजी आदि विविध दंतोपचार सुविधाएं मिलेंगी। फिलहाल कॉलेज में स्नातकोत्तर की 23 सीटें हैं।
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नये पद मिलने के बाद करीब 24 सीटें बढ़ जाएंगी। नई इमारत में 3 प्रयोगशाला, 3 लाइब्रेरी, लेक्चर हॉल, सेंट्रल रिसर्च लैब, वर्चुअल लैब, कॉन्फ्रेंस हाल सहित अन्य आधुनिक सुविधाएं कराई गई है। शासकीय स्तर पर डेंटल कॉलेज में सुपरस्पेशलिटी सुविधा केवल नागपुर में ही उपलब्ध हो सकेगी।
नियमित अधिष्ठाता के तबादले के बाद प्रभारी अधिष्ठाता द्वारा सरकार के साथ फॉलोअप कम हो गया। इस वजह से टीचिंग पदों की मंजूरी का मामला भी अटक गया। 2019 से शुरू निर्माण कार्य 2 वर्ष के भीतर पूरा किया जाना था लेकिन कोरोना काल की वजह से काम में बाधाएं आई। अब उपकरणों की खरीदी और प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं होने से मामला अटक गया है। अस्पताल शुरू नहीं होने से डेंटल कॉलेज के अपग्रेडेशन का काम भी अटका हुआ है।