
दूसरे अपराधी थे हिरणवार गैंग का 'टारगेट' (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: भाई की हत्या का बदला लेने के लिए कैफे संचालक अविनाश भुसारी को शूटआउट करने वाली हिरणवार गैंग के टारगेट दूसरे अपराधी थे। हिरणवार गैंग का सूत्रधार बंटी पांढराबोड़ी बस्ती से 14 अप्रैल को बाबासाहब आंबेडकर की जयंती पर निकलने वाली रैली में प्रतिद्वंद्वी अपराधियों का शूटआउट करने वाले थे। यदि शूटआउट होता तो बेगुनाह लोगों की भी जान जा सकती थी। इसके बाद हालात पर काबू पाना मुश्किल हो सकता था।
क्राइम ब्रांच ने अविनाश भुसारी की हत्या के सूत्रधार बंटी उर्फ शैलेष उर्फ बंटी विनोद हिरणवार (31), उसके भाई अंकित उर्फ बाबू धीरज हिरणवार (22), साथी शिबू राजेश यादव (20), आदर्श उर्फ गोट्या वालके (20) और रोहित उर्फ भिक्कू राजू मेश्राम (20) काछीपुरा को गिरफ्तार किया है। उनसे पूछताछ के बाद क्राइम ब्रांच के डीसीपी राहुल मदने ने कार्रवाई की जानकारी दी। बंटी-बाबू ने साथियों की मदद से 14 अप्रैल की रात अविनाश की हत्या की थी। इसमें लिप्त नाबालिग सहित 5 आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार किया गया है।
बंटी-बाबू और अन्य आरोपी चकमा दे रहे थे। वह हत्या के बाद भंडारा, डोंगरगढ़, दुर्ग, कोलकाता, विशाखापत्तनम तथा तिरुपति होते हुए बल्लारशाह पहुंचे थे। बल्लारशाह से ट्रेन में डोंगरगढ़ जा रहे थे। नवेगांव स्टेशन से पहले पुलिस को देखकर बंटी-बाबू चलती ट्रेन से कूद गए थे। पुलिस ने भी जान पर खेलकर उन्हें पकड़ लिया। उनका साथी शिबू पहचान में नहीं आने से डोंगरगढ़ पहुंच गया। पुलिस ने डोंगरगढ़ में दबिश देकर शिबू को आदर्श और दीपू के साथ गिरफ्तार किया। बंटी-बाबू को अपने भाई पवन की हत्या का बदला लेने के लिए पांढराबोड़ी के गुप्ता और भांभोर्डे की हत्या करना था। उन्होंने महाल के ऑटो चालक साजिद से एक माह पूर्व 3 माउजर और उत्तर प्रदेश से 20 गोलियां खरीदी थीं।
आंबेडकर जयंती पर प्रवेश गुप्ता व अन्य युवक पांढराबोड़ी से रैली निकालते हैं। इसमें प्रवेश और भांबोर्डे पूरे समय रहते हैं। उनकी पवन हत्याकांड में भूमिका है। लेकिन गुप्ता को बंटी की योजना का 2-3 दिन पूर्व पता चलते ही वह भांबोर्डे के साथ छुप गया। उनके नहीं मिलने से बंटी-बाबू साथियों के साथ उन्हें धरमपेठ में रात में ढूंढ रहे थे। उन्हें अविनाश आइसगोला खाता दिखा। बंटी-बाबू को एक वेटर से पता चला था कि अविनाश को अवि ने पवन की हत्या किए जाने का पहले से बताया था। इस खुन्नस में बंटी-बाबू ने अविनाश की हत्या की। बंटी ने उसे 4 गोलियां मारीं। पवन बाबू का सगा भाई था। इसीलिए बंटी के बाद बाबू ने भी दो फायर किए।
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आरोपियों ने पुलिस से बचने के लिए बेहद सावधानी बरती। दुर्ग से कोलकाता पहुंचते ही मोबाइल और सिम कार्ड बदल दिया। बाद में चार-पांच मर्तबा मोबाइल और सिम बदला। इसी तरह फर्जी आधार कार्ड का भी इस्तेमाल किया। इसके लिए पुलिस ने अलग से धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। बाबू का पिता धीरज अवैध साहूकारी करता है। उसके खिलाफ अवैध साहूकारी का मामला दर्ज किया जा रहा है।
इस प्रकरण में बंटी की गर्लफ्रेंड सिमरन को भी गिरफ्तार किया गया है। उसने बंटी को हत्या के लिए रुपए दिए थे। सिमरन सालों से बंटी के करीब है। बंटी के मकोका में जेल जाने पर उसने दूसरे युवक से शादी कर ली थी। दस माह पहले उसके पति की वाड़ी में तीसरी मंजिल से गिरकर संदिग्ध मृत्यु हुई है। साजिश होने की आशंका से इस घटना की भी पुलिस जांच करने वाली है।
पिस्तौल और गोलियां हासिल करने के बाद बंटी-बाबू काछीपुरा और चामडिया बस्ती में ही फायरिंग की ‘प्रैक्टिस’ कर रहे थे। वह झाड़ियों और नाले में जाकर निशाना लगाते थे। आठ-दस गोलियां चलाकर उन्होंने दूर से निशाना लगाया। काछीपुरा और चामड़िया बस्ती में हिरणवार गैंग सहित कई अपराधी हैं। दोनों बस्ती बजाज नगर थाने की सीमा में हैं। उसे हिरणवार और शेखू गैंग से दुश्मनी का पता था। बंटी और शक्ति तड़ीपार होने के बावजूद बस्ती में सक्रिय थे और बजाज नगर पुलिस कुंभकर्णी नींद में सोती रही।
सूत्रों के अनुसार गुप्ता ने अंबाझरी पुलिस को बंटी-बाबू उसकी हत्या के लिए पिस्तौल लेकर धरमपेठ में घूमने की जानकारी दी थी। दूसरे सूत्रों ने भी हिरणवार गैंग के पांढराबोड़ी में सक्रिय होने का बताया था। इसके बाद भी अंबाझरी पुलिस ने कोई एहतियात नहीं बरता। यदि उसने तत्परता दिखाई होती तो बंटी-बाबू पकड़े जाते। अविनाश हत्याकांड में लापरवाही बरतने के लिए अंबाझरी थाने की डीबी टीम को बर्खास्त भी किया गया है।






