मुंडे का खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग भुजबल की झोली में (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस नीत मंत्रिमंडल में शामिल होने के 4 दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल को शुक्रवार को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग आवंटित किया गया। यह विभाग पहले भी उनके पास ही था। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के प्रमुख नेता भुजबल ने पुष्टि की कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति सरकार में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग सौंपा गया है।
इस वर्ष मार्च में राकांपा नेता धनंजय मुंडे के इस्तीफा देने के बाद से विभाग में कोई मंत्री नहीं था। नासिक जिले के येवला से कई बार विधायक रहे भुजबल ने 20 मई को मंत्री पद की शपथ ली थी। पिछले साल दिसंबर में जब मुख्यमंत्री फडणवीस ने पहली बार मंत्रिमंडल का विस्तार किया था तब भुजबल को मंत्री पद नहीं दिया गया था जिससे वह नाराज थे।
इस बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता छगन भुजबल का एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस दिसंबर में अपने पहले मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उन्हें शामिल करने के इच्छुक थे और इस सप्ताह भी उनके मंत्रिमंडल में शामिल होने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भुजबल (77) अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के एक प्रमुख नेता हैं जिन्हें मंगलवार 20 मई को फडणवीस सरकार में शामिल किया गया।
नवंबर 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भारी बहुमत से सत्ता में आने के बाद फडणवीस सरकार के मंत्रिमंडल का पहला विस्तार पिछले साल दिसंबर में हुआ था और दूसरा विस्तार 20 मई को किया गया जिसमें राकांपा नेता ने शपथ ली। यह पूछे जाने पर कि ऐसी चर्चा है कि मुख्यमंत्री, जो भाजपा के नेता हैं, ने उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल करने में अहम भूमिका निभाई जबकि राकांपा में इसे लेकर विरोध था, भुजबल ने कहा, “यह सच है। पहले कैबिनेट विस्तार में भी फडणवीस ने मुझे शामिल करने पर जोर दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इसके लिए प्रयास किया था। हालांकि, उस समय ऐसा नहीं हो सका।”
भुजबल ने यह बात नागपुर हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में कही। एक सवाल के जवाब में भुजबल ने कहा कि कुछ लोग बिना वजह टिप्पणी करते हैं, “लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि मैं भाजपा का मंत्री नहीं हूं, बल्कि राकांपा का हूं। राकांपा तय करेगी कि वह किसे मंत्री बनाना चाहती है, मुख्यमंत्री तो बस सिर्फ सुझाव देते हैं।” महायुति में भाजपा, शिवसेना और राकांपा शामिल हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)