प्रफुल्ल पटेल (सोर्स: सोशल मीडिया)
Praful Patel Advice To Guardian Ministers: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के सांसद प्रफुल्ल पटेल ने विदर्भ के पालकमंत्रियों को तीखी चेतावनी देते हुए कहा कि वे केवल पर्यटन के लिए जिले में न आएं। नागपुर में आयोजित राष्ट्रवादी चिंतन शिविर में पटेल ने कड़े शब्दों में कहा, “यदि मंत्री यहां आते हैं, तो उन्हें केवल झंडावंदन या औपचारिकता के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की ताकत बढ़ाने और सहयोगियों की मदद करने के दृष्टिकोण से आना चाहिए। दो घंटे के पर्यटक बनकर आने का कोई अर्थ नहीं है।”
प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट किया कि कई मंत्री विदर्भ में आते तो हैं, लेकिन केवल दिखावे के कार्यक्रम कर तुरंत वापस लौट जाते हैं और बाद में मुंबई जाकर शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट देते हैं कि उन्होंने दौरा किया। उन्होंने कहा कि ऐसे दौरों का कोई महत्व नहीं है।
मंत्री केवल उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नहीं, बल्कि वास्तविक जिम्मेदारी निभाने के लिए आएं। उनकी इस नाराजगी का सीधा संकेत उन पालकमंत्रियों की ओर था, जिनमें वाशिम के पालकमंत्री दत्तात्रय भरणे, बुलढाना के मकरंद पाटिल और भंडारा-गोंदिया के बाबासाहेब पाटिल शामिल बताए गए।
पटेल ने विदर्भ की उपेक्षा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विदर्भ के लोगों को कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि उनकी ताकत कम है। “अजित पवार को चाहिए कि वे मंत्रिमंडल में विदर्भ से अधिक नेताओं को जिम्मेदारी दें। बुलढाणा, वाशिम और गोंदिया जैसे जिलों के लिए पालकमंत्री नियुक्त किए गए हैं, लेकिन यह केवल नाम के लिए न हो। उन्हें सक्रिय रूप से काम करने की आवश्यकता है,” पटेल ने जोर देकर कहा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठन का जिक्र करते हुए पटेल ने कहा कि 1999 में पार्टी बनने के बाद विदर्भ को उतना महत्व नहीं दिया जा सका। उस समय कांग्रेस बड़ी पार्टी थी, इसलिए राकांपा को कम सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ा। लेकिन अब स्थिति बदली है। महायुति में शामिल होने के बाद विदर्भ में पार्टी ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी पर जीत हासिल की। सातवीं सीट पर मैत्रीपूर्ण मुकाबला हुआ, हालांकि वहां सफलता नहीं मिली।
पटेल ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस शिव, शाहू, फुले और आंबेडकर की विचारधारा से प्रेरित है। उन्होंने कहा कि पार्टी विभिन्न विचारधाराओं को जोड़कर काम कर रही है और इसी कारण विदर्भ में उसकी एक अलग पहचान बन रही है। उन्होंने कहा “विदर्भ के लोग अब हमें केवल एक सहयोगी पार्टी के रूप में नहीं, बल्कि एक मजबूत विकल्प के तौर पर देख रहे हैं।”
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पटेल ने पालकमंत्रियों को आगाह करते हुए कहा कि उनके दौरों से यदि स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल नहीं बढ़ता, तो ऐसे दौरे निरर्थक हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि कार्यकर्ताओं की अनदेखी पार्टी को कमजोर करेगी। इस अवसर पर उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि विदर्भ के कार्यकर्ताओं की मेहनत और एकजुटता ही आने वाले चुनावों में पार्टी की असली ताकत साबित होगी।
नागपुर के चिंतन शिविर में प्रफुल्ल पटेल का यह बयान विदर्भ की राजनीति में नई हलचल पैदा कर गया है। जहां एक ओर उन्होंने पालकमंत्रियों को सख्त संदेश देकर जिम्मेदारी निभाने की नसीहत दी, वहीं दूसरी ओर विदर्भ को अधिक प्रतिनिधित्व देने और स्थानीय स्तर पर सक्रिय राजनीति की वकालत की। अब देखना होगा कि उनके इस संदेश का पालकमंत्रियों और पार्टी नेतृत्व पर कितना असर पड़ता है।