महावितरण (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: अनेक सजग नागरिकों, बिजली क्षेत्र के जानकारों, बिजली कर्मचारी व अधिकारियों के संगठन सहित महाविरण ने भी याचिका का पुरजोर विरोध किया। कुछ ने तो आरोप लगाए के टोरंट, अडाणी, रिलायंस व अन्य कंपनियां लॉबिंग कर राज्य के शहरों को आपस में बांट रही हैं। मागासवर्गीय विद्युत कर्मचारी संगठन के संजय घोडके ने कहा कि महावितरण लाभ में चल रही है। केन्द्र सरकार द्वारा उसे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए हजारों करोड़ रुपये दिये गये हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर निजी कंपनियों के हवाले करने व महावितरण की हजारों करोड़ों की प्रॉपर्टी कंपनी को देने का यह षड्यंत्र है। टोरंट को लाइसेंस नहीं दिया जाना चाहिए। लक्ष्मण राठौड़ ने कहा कि महावितरण नो लॉस-नो प्रॉफिट पर सेवा देने वाली कंपनी है। टोरंट को स्पर्धा करनी है। ऐसा है तो टोरंट, अदाणी, रिलायंस को एक ही जगह साथ आना चाहिए।
नागपुर, पुणे, मुंबई, भिवंडी, उल्लासनगर के अनेक प्रतिनिधियों ने सुनवाई में टोरंट की याचिका रद्द करने की मांग रखी। वहीं टोरंट की ओर से पक्ष रखते हुए एड. दीपा चव्हाण ने पैरलल लाइसेंस से उद्योग व नागरिकों को कैसे कम दर पर बिजली उपलब्ध होगी, सेवा की गुणवत्ता बढ़ेगी आदि मुद्दों पर अपने तर्क रखे।
श्रीनिवास बोबड़े ने कहा कि कंपनी रूरल एरिया को छोड़कर ऐसे शहरी व इंडस्ट्रियल एरिया की मांग कर रही है जो प्रॉफिटेबल है। महावितरण के फेज-1 के 15 प्रतिशत ग्राहक अगर हाथ से चले जाएंगे तो महावितरण के लिए यह अनफेयर होगा। दीपक कोलांबे ने कहा का टोरंट से आम ग्राहकों को कोई लाभ नहीं है। जहां स्मार्ट मीटर लगाए गए हैं वहां अधिक बिल आने की शिकायतें आ रही हैं।
प्रयास एनर्जी ग्रुप के शांतनु बनर्जी ने कहा कि पैरलल लाइसेंस से नेटवर्क का डुप्लीकेशन, ट्रिप्लीकेशन होगा। महावितरण पूरे राज्य में किसानों, सार्वजनिक निकायों आदि को सब्सिडी दरों पर बिजली दे रही है, जबकि लाइसेंसी तो अपना बिजनेस करेगा। सारे लाभदायक सेक्टर कंपनी के हवाले किए गए तो महावितरण के साथ अन्याय होगा।
एमएसईबी ऑफिसर एसोसिएशन के दिनेश लाडकर ने कहा कि टोरंट ने जो रिपोर्ट दी है वह 3 वर्ष पुराना 2022 का है। नेटवर्क का जो प्लान दिया है उस पर आब्जेक्शन है, कास्ट ऑफ प्लान पकड़ा ही नहीं है। यूनिट रेड में भी कन्फ्यूजन है। नागपुर में 5वें वर्ष में मात्र 10 करोड़ रुपयों का प्रॉफिट दिखाया है जो हास्यास्पद है। क्या कंपनी जनकल्याण कर ‘नोबल’ पुरस्कार के लिए कार्य करने आ रही है। संदेह है कि कंपनी बाद में रेट बढ़ाएगी।
दूरसंचार सेक्टर में रिलायंस ने यही किया था। उन्होंने कहा कि मुंबई-भिवंडी में कंपनियां सस्ती बिजली नहीं दे पा रही हैं। वर्ष 2024 में मुंब्रा में 27 और भिवंडी में 11 प्रतिशत लास टोरंट ने दिखाया है। वहां के सांसद ने शिकायत की है कि कंपनी बिलिंग में गड़बड़ी करती है और ग्राहकों पर झूठा केस करती है।
महावितरण की ओर से भी पैरलल लाइसेंस की याचिका को डिसमिस करने का निवेदन आयोग से किया गया। कंपनी की ओर से कहा गया कि टोरंट का कोई डिस्ट्रिब्यूशन नेटवर्क प्लान नहीं है। कैसे सभी वर्ग के ग्राहकों को सेवा दे पाएंगे, क्या टाइमबाउंड कार्यक्रम होगा, सब-स्टेशनों के लिए जमीनों की व्यवस्था क्या है? यह स्पष्ट नहीं है। एचटी व एलटी नेटवर्क सिस्टम का कोई स्पष्ट प्लान नहीं है। टोरंट ने केवल स्माल व प्रॉफिटेबल एरिया को चुना है। हाईवेल्यू कंज्यूमर को ही लिया है, सब्सिडी उपभोक्ताओं को छोड़ दिया है। यह पिटीशन डिसमिस की जानी चाहिए।
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बिजली क्षेत्र के जानकार आरबी गोयनका ने कहा कि पूरा उद्योग महावितरण की मनमानी सर्विस भुगत रहा है। महावितरण की मोनोपली चल रही है। इस क्षेत्र में स्पर्धा आनी चाहिए। टोरंट का वादा है कि वह महाविरण से 5 से 7 प्रतिशत कम दर में बिजली देगी। पैरलल लाइसेंसी की बेहद जरूरत है, ताकि ग्राहकों को अच्छी सेवा मिल सके। उन्होंने कहा कि कंपनी के नेटवर्किंग व टैरिफ प्लान को समझकर लाइसेंस देना चाहिए।
टोरंट का पक्ष रखते हुए एड. दीपा चव्हाण ने अनेक तर्क दिए। उन्होंने कहा कि एक्ट में प्रावधान है कि सरकार मोनोपली स्ट्रक्चर पर नियंत्रण के लिए एक से अधिक पैरलल लाइसेंस दे सकती है। उन्होंने अदालतों के कुछ केसेस के उदाहरण भी दिए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 2007 में भिवंडी की फ्रेंचाइजी टोरंट को दी थी। तब वहां की वितरण हानि 40.6 प्रतिशत थी जो आज 10.03 प्रतिशत पर आ गई है।