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मनपा का राजनीतिक अखाड़ा तैयार, भाजपा-कांग्रेस के इच्छुकों में मचेगी खींचतान

Nagpur Municipal Corporation Election 2025: नागपुर मनपा चुनाव 2025 में भाजपा-कांग्रेस के बीच टिकट खींचतान, आरक्षण बदलने से पूर्व पार्षदों की मुश्किलें बढ़ीं।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: Nov 12, 2025 | 09:15 PM

नागपुर मनपा (सौजन्यः सोशल मीडिया)

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Nagpur News: मनपा चुनाव को लेकर आरक्षण की लॉटरी निकाले जाने के बाद 28 पूर्व पार्षदों को बड़ा झटका लगा है। हालांकि, इन पार्षदों की ओर से उसी प्रभाग की अनारक्षित अर्थात् सामान्य वर्ग (पुरुष) के लिए छूटी सीट पर चुनाव लड़ने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इसका निर्णय पार्टी की ओर से किया जाएगा। यही कारण है कि ऐसे पार्षदों का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है।

मनपा का राजनीतिक अखाड़ा अब तैयार हो चुका है। जल्द ही तमाम राजनीतिक दलों की ओर से प्रभागवार जीत के संभावित कार्यकर्ताओं की परख शुरू होगी। ऐसे में प्रमुख दल — भाजपा और कांग्रेस के इच्छुकों में खींचतान होना तय है।

भाजपा में अंदरूनी संघर्ष होने की संभाव

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, सबसे अधिक अंदरूनी संघर्ष भाजपा में होने की संभावना है। जिन 28 सीटों का आरक्षण बदला है, उनमें कई दिग्गज पार्षदों को झटका लगा है। वे अब दूसरी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं, किंतु भाजपा पहले से ही नए चेहरों को मौका देने की तैयारी में है। वैसे भी चुनाव मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में लड़ा जाना तय माना जा रहा है।

‘और कब तक’ का उठ रहा सुर

बताया जाता है कि मनपा में पिछले 15 वर्षों से भाजपा की सत्ता है। इस दौरान कई पार्षद अपनी तीसरी टर्म पूरी कर चुके हैं, जबकि कुछ 20–25 वर्षों से लगातार चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे पार्षदों को लेकर अब कार्यकर्ताओं में ‘और कब तक’ का सुर उठ रहा है।

कार्यकर्ता अब खुले रूप में अपने नेताओं के सामने इस तरह के चयन का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब किसी प्रस्थापित पार्षद के प्रभाग में आरक्षण निश्चित हो जाता है, तो टिकट उसी परिवार की महिला को दे दिया जाता है। इससे वर्षों से काम कर रहे कार्यकर्ताओं में निराशा फैल रही है। कई इच्छुक कार्यकर्ताओं ने अब मोर्चा खोलते हुए मांग की है कि जिनकी सीट आरक्षण के कारण कटी है, उन्हें दूसरी जगह से टिकट न दिया जाए।

नेताओं की करीबी के दिख रहे तेवर

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के लिए यह स्थिति सबसे चुनौतीपूर्ण है। पार्टी के पास 108 पार्षद थे और पहले ही मेरिट के आधार पर टिकट देने की अनौपचारिक घोषणा की जा चुकी है। इसके बाद कई पार्षदों और महिला पार्षदों के पतियों ने नेताओं के इर्द-गिर्द सक्रियता बढ़ा दी थी।

अब आरक्षण बदलने के बाद समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं। कई पार्षद और कार्यकर्ता अब नेताओं से नजदीकी बढ़ाकर टिकट पाने की कोशिश में हैं। हालांकि, अंदरूनी असंतोष के कारण प्रभाग में चुनाव जीतना उनके लिए आसान नहीं होगा। बताया जाता है कि कई बार पार्षद रह चुके उम्मीदवारों का अब पार्टी के भीतर विरोध बढ़ रहा है।

भाजपा में नया नेतृत्व उभरने की संभावना

जानकारों के अनुसार, मनपा में लगातार तीन कार्यकाल से भाजपा की सत्ता रही है। चार बार तक चुनाव लड़ चुके कई वरिष्ठ पार्षदों को संगठन में अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। अब मनपा में भाजपा का नया नेतृत्व उभरने की संभावना जताई जा रही है।

भविष्य के चुनावों को लेकर पार्टी की ओर से कई सर्वे किए गए हैं। स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं से राय लेने पर यह स्पष्ट हुआ कि अधिकांश कार्यकर्ता दो बार से अधिक चुनाव लड़ चुके पार्षदों को टिकट न देने के पक्ष में हैं। उनके स्थान पर नए और सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका देने की मांग तेज हो गई है।

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प्रभाग सेफ, टिकट अनसेफ

जानकारों के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम और पूर्व के कई प्रभाग आरक्षण के बाद कुछ पूर्व पार्षदों के लिए तो ‘सेफ’ नजर आ रहे हैं, लेकिन उन्हीं पार्षदों के टिकट ‘अनसेफ’ बताए जा रहे हैं। ओबीसी और सर्वसाधारण महिला आरक्षण के चलते कई प्रभागों की स्थिति बदल गई है।

पूर्व महापौर दयाशंकर तिवारी के प्रभाग में आने वाले अधिवक्ता संजय बालपांडे को सीट छोड़ने की नौबत आ गई है। वहीं पूर्व स्थायी समिति सभापति बाल्या बोरकर के प्रभाग में महिला आरक्षण लागू होने से उनके लिए भी मुश्किलें बढ़ी हैं। हालांकि प्रदीप पोहाने के लिए प्रभाग सुरक्षित है, लेकिन पार्टी के भीतर विरोध का सामना बाल्या बोरकर को करना पड़ सकता है।

Manpa nagpur election 2025 bjp congress ticket fight

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Published On: Nov 12, 2025 | 09:15 PM

Topics:  

  • BJP
  • Congress
  • Maharashtra
  • Maharashtra Local Body Elections
  • Nagpur News

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