बच्चू कड़ू के आंदोलन में पहुंचे मनोज जरांगे (सौजन्य-एक्स)
Manoj Jarange in Farmers Protest: नागपुर में प्रहार अध्यक्ष बच्चू कड़ू द्वारा चलाए जा रहे किसान आंदोलन में मराठा आरक्षण के नेता मनोज जरांगे शामिल हुए। इस आंदोलन में उन्होंने बच्चू कड़ू और किसानों की कर्जमाफी और उनके हक की बात की। नागपुर में जारी किसान आंदोलन को अब मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे का साथ मिल गया है।
गुरुवार को मनोज जरांगे नागपुर पहुंचे, जहां उन्होंने आंदोलन स्थल पर बच्चू कडू और किसानों से मुलाकात की और उनके समर्थन में आवाज बुलंद की। उनके आगमन से आंदोलनकारियों में जोश और उत्साह का माहौल देखने को मिला।
बच्चू कडू ने कहा, “मनोज जरांगे अपने किसानों के साथ खड़े रहे, इसके लिए उनका धन्यवाद। नेता एकजुट हुए और उनका समर्थन किया। हमने ओबीसी नेताओं और सभी दलों को पत्र दिए थे। उद्धव ठाकरे ने नहीं, बल्कि उनके सांसद उमेश पाटिल ने उनका समर्थन किया।”
किसान आंदोलन के नेता पूर्व विधायक बच्चू कडू ने कहा मुख्यमंत्री ने मुंबई में चर्चा के लिए बुलाया है। मैं और छह लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल जा रहा है। कुछ निर्णय होंगे, कुछ संतुष्ट नहीं होंगे, कुछ संतुष्ट होंगे। हमने एक आंदोलन बनाया है। यह आसान नहीं है। हालांकि, जब तक आंदोलन की बुनियादी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक आंदोलन नहीं रुकेगा।
मनोज जरांगे ने इस आंदोलन का में शामिल हुए और इसका समर्थन किया। मनोज जरांगे ने कहा, “मैं एक किसान का बेटा होने के नाते यहां आया हूं। सरकार द्वारा रखी गई योजना को कैसे विफल किया जाए, हमें इसका मुकाबला करना होगा। हमने भी एक आंदोलन किया था। आपने अपनी पूरी ज़िंदगी किसान आंदोलन में खड़े होकर बिता दी। मुझे मुंबई की बैठक के बारे में नहीं पता। मैं इसमें शामिल नहीं होऊंगा। मैं यह नहीं कहूंगा कि जाना है या नहीं। मैंने अंतरिम बैठक रद्द कर दी। कल मुझे बहुत बुरा लगा, पहले ही दिन सरकार ने कोर्ट का खेल खेला।”
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अमरावती से शुरू हुआ यह किसान आंदोलन नागपुर समेत पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता बच्चू कडू के नेतृत्व में हजारों किसान ‘महाएल्गार मार्च’ के तहत बैलगाड़ियों, ट्रैक्टरों और मवेशियों के साथ नागपुर-वर्धा हाईवे पर उतर आएं।
पूर्ण कर्जमाफी, जिसमें कपास, प्याज और फल उत्पादकों के कर्ज शामिल हों।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी।
बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की व्यवस्था।
भूमि अधिग्रहण में उचित मुआवजा और पुनर्वास।
ग्रामीणों के अन्य अधिकार और सामाजिक न्याय की सुनिश्चितता।