8 बार सर्जरी कर बचाई युवक की जान (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा निवासी 27 वर्षीय युवक अंकुर भटघरे को 17 जुलाई को सांप ने डस लिया था। सर्पदंश के बाद गांव में पारंपरिक इलाज कराया। इसमें करीब 5 दिन निकल गये। नागपुर में आने के बाद एक निजी अस्पताल में उसका इलाज 45 दिनों तक चला। इस बीच उसकी 8 बार सर्जरी और 16 बार ट्रेसिंग की गई। सर्पदंश के कारण उसका पैर खराब हो गया था।
इसमें से करीब 16 लीटर पस बाहर निकाला गया। बेहद जटिल इलाज के बाद युवक स्वस्थ होकर घर लौटा। सर्पदंश के बाद आज भी कई लोग देसी इलाज पर निर्भर रहते हैं लेकिन यह जानलेवा हो सकता है। परिजनों ने जब युवक को चांडक क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल, सेंट्रल एवेन्यू में भर्ती कराया तब उसका एक पैर काला पड़ गया था। साथ ही पैर में मवाद के चलते कीड़े भी लग गये थे।
डॉ. चांडक और उनकी विशेषज्ञ टीम ने मामले को एक चुनौती के रूप में लिया। 8 जटिल सर्जरी और उन्नत वीएसी (वैक्यूम असिस्टेड क्लोजर) प्रणाली से घाव से 16 लीटर से अधिक पस निकाला गया। लगातार निगरानी, एंटीबायोटिक्स और स्किन ग्राफ्टिंग से आखिरकार पैर ठीक हो गया। अब अंकुर अपने पैरों पर खड़ा हो गया और उसे शुक्रवार को डिस्चार्ज मिल गया। इससे पहले अस्पताल ने जहर का सेवन करने वाले एक मरीज को बचाने के लिए 19,320 इंजेक्शन लगाकर जान बचाई थी।
यह भी पढ़ें – मानकापुर फ्लाईओवर में भिड़ी स्कूलों की बस-वैन, उड़ गए परखच्चे, ड्राइवर-छात्रा समेत 2 की दर्दनाक मौत
यह उपचार पद्धति लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हुई है। उन्होंने बताया कि सर्पदंश के बाद देसी इलाज के बाद विशेषज्ञ डॉक्टरों के पास जाना चाहिए। इस उपचार में डॉ. किरण पटेल, डॉ. तरुण देशभ्रतार, डॉ. विनोद बोरकर, डॉ. राजेश द्विवेदी, डॉ. संजय मानकर, डॉ. लेकेश मानकर, डॉ. गौरव बंसोड़, ओटी प्रमुख डॉ. राजू हिवरले, डॉ. गणेशे और गौरव वर्धेवार ने प्रयास किये।