
सीएम देवेंद्र फडणवीस (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Maharashtra Assembly Winter Session: महाराष्ट्र राज्य में जीवन को आसान बनाने और व्यापार करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से, महाराष्ट्र सरकार ने ‘विश्वास-आधारित शासन’ (ट्रस्ट-बेस्ड गवर्नेस) को और मजबूत करने के लिए विधानसभा में ‘महाराष्ट्र जन विश्वास (प्रावधान सुधारणा) अधिनियम, 2025’ नामक एक विधेयक पेश किया है। इस विधेयक का उद्देश्य कई अधिनियमों में निहित विशिष्ट अपराधों का ‘विनगुन्हेगारीकरण’ (Decriminali-sation) करना और उनका सुसूत्रीकरण करना है।
सरकार का मानना है कि दंडात्मक और कठोर अनुपालन प्रणाली से विश्वास-आधारित और सुविधाकारी शासन व्यवस्था की ओर परिवर्तन करना विकसित महाराष्ट्र के लिए एक प्रमुख घटक है। अनावश्यक नियमन और छोटी-मोटी तकनीकी त्रुटियों के कारण होने वाले अपराधों से नागरिकों, व्यवसायों और राज्य को भारी नुकसान होता है जिससे न केवल उद्यमिता में बाधा आती है बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी अनावश्यक बोझ पड़ता है और प्रशासनिक कार्यक्षमता कम होती है।
राज्य सरकार का नीतिगत प्राथमिकता यह रही है कि छोटे-मोटे उल्लंघनों के आपराधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाया जाए। इस विधेयक के माध्यम से नागरिक स्वरूप की जुर्माना वाले छोटे-मोटे उल्लंघनों के लिए लगाए जाने वाले जुर्माने में बदलाव करना राज्य सरकार का इरादा है, ताकि अदालतों पर बोझ कम हो और प्रशासनिक कार्यक्षमता बढ़े। हालांकि सार्वजनिक व्यवस्था, स्वास्थ्य या जीवन/सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा करने वाले अपराधों को अभी भी बरकरार रखा गया है।
1. महाराष्ट्र औद्योगिक संबंध अधिनियम, 1947
2. महाराष्ट्र शुश्रूषा-गृह पंजीयन अधिनियम, 1949
3. महाराष्ट्र मुद्रांक अधिनियम, 1958
4. व्यवसाय, व्यापार, आजीविका व नौकरियों पर कर अधिनियम, 1975
5. महाराष्ट्र दुकानें व आस्थापना (नौकरी के व सेवा शर्तों के विनियमन) अधिनियम, 2017
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राज्य सरकार को जांच करने और जुर्माना लगाने के लिए अधिनिर्णय अधिकारी नियुक्त करने का अधिकार दिया गया है। ये संशोधन केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘जन विश्वास (प्रावधानों मे संशोधन) अधिनियम, 2023’ की तर्ज पर है, जिसका उद्देश्य राज्य स्तर पर भी आपराधिक प्रावधानों को गैर-आपराधिक बनाने की नीति को लागू करना है। यह विधेयक सात अन्य अधिनियमों में भी आवश्यक संशोधन करता है, जिनमें महाराष्ट्र वैद्यकीय परिषद अधिनियम, 1965, महाराष्ट्र कामगार संगठनों को मान्यता देने के अधिनियम, 1971, आदि शामिल है।






