
नायब तहसीलदार का ऑफिस (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: जलालखेड़ा में नायब तहसीलदार के ऑफिस में पिछले तीन महीने से कोई नायब तहसीलदार नहीं है, जिससे स्थानीय लोग गंभीर परेशानी का सामना कर रहे हैं। जलालखेड़ा एक बड़ा गांव है, जहां आसपास के 60 से 70 गांवों के लोग अपने छोटे-मोटे कामों के लिए नायब तहसीलदार के ऑफिस का रुख करते थे, लेकिन अब कार्यालय में नायब तहसीलदार की कमी के कारण उन्हें इन कामों के लिए नरखेड़ जाना पड़ रहा है।
जलालखेड़ा में 2004 से नायब तहसीलदार का ऑफिस कार्यरत था, लेकिन अब यह सिर्फ एक सजावट की चीज बनकर रह गया है। गांवों के लोग खासकर उन कामों के लिए यहां आते थे, जिनका समाधान तहसीलदार के ऑफिस से ही संभव था, लेकिन अब तीन महीने से नायब तहसीलदार की कमी के कारण लोगों को नरखेड़ जैसे दूर के इलाके में जाना पड़ रहा है, जिससे उन्हें न सिर्फ समय और पैसा खर्च करना पड़ रहा है, बल्कि यातायात की कमी भी उन्हें और परेशान कर रही है।
नरखेड़ जाने के लिए कोई नियमित ट्रांसपोर्ट सेवा उपलब्ध नहीं है, जिससे लोगों को अपने छोटे-मोटे कामों के लिए तकरीबन 40 से 45 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। रामठी, आरंभी और खरगड़ जैसे गांवों के लोग अब जलालखेड़ा के बजाय नरखेड़ जा रहे हैं, जो उनके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। इस समस्या पर लोगों का गुस्सा भी बढ़ने लगा है।
स्थानीय निवासियों ने एक स्वर में मांग की है कि जलालखेड़ा में जल्द से जल्द नियमित नायब तहसीलदार की नियुक्ति की जाए, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान तुरंत हो सके। विधायक चरणसिंह ठाकुर से भी उम्मीद जताई जा रही है कि वे इस समस्या को हल करने में तत्परता दिखाएंगे।
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सिर्फ एक नायब तहसीलदार है, वह संजय गांधी, श्रवण बल और चुनाव कार्यों में व्यस्त हैं, इसलिए उन्हें जलालखेड़ा में काम करने का समय नहीं मिल रहा है। सरकार को इस बारे में सूचित कर दिया गया है।
जब जलालखेड़ा तहसील नहीं था, तब तत्कालीन मंत्री अनिलबाबू देशमुख ने विदर्भ का पहला नायब तहसीलदार ऑफिस जलालखेड़ा में शुरू किया था। अब एक साल से नायब तहसीलदार की कमी के कारण किसानों और आम लोगों को नरखेड़ जाना पड़ता है, जिससे बड़ी समस्या हो रही है। राजस्व मंत्री को इस बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए और जलालखेड़ा में नायब तहसीलदार नियुक्त करना चाहिए, नहीं तो विरोध होगा।






