महाराष्ट्र का कानून विश्वविद्यालय का CJI गवई ने किया उद्घाटन (सौजन्यः सोशल मीडिया)
नागपुर: रविवार को नागपुर में एक ऐतिहासिक पल गवाह बना जब महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की नई प्रशासकीय इमारत का उद्घाटन और पुस्तकालय भवन का शिलान्यास भारत के प्रधान न्यायाधीश भूषण गवई के हाथों संपन्न हुआ। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह केवल ईंट और पत्थर की इमारत नहीं है, बल्कि प्रतिभा गढ़ने की प्रयोगशाला है।
अब इसकी जिम्मेदारी है कि यह विश्वविद्यालय विधि शिक्षा के क्षेत्र में भारत को वैश्विक पहचान दिलाए। यह समारोह नागपुर के वर्धा रोड परिसर में भव्य और गरिमामय वातावरण में आयोजित हुआ। प्रधान न्यायाधीश भूषण गवई ने भावुक अंदाज में कहा, “यह सपना एक दशक से भी लंबा था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर ने इसकी कल्पना की थी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश शरद बोबडे के अथक प्रयासों से यह सपना साकार हुआ।”उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं तैयार की गई हैं। अत्याधुनिक तकनीक, सौर ऊर्जा और पर्यावरण अनुकूल डिजाइन इसे अद्वितीय बनाते हैं। “यहां से निकले छात्र दुनिया में भारत की प्रतिभा का परचम लहराएं। यही हम सबकी उम्मीद है।”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “केवल मुंबई में नहीं, बल्कि छत्रपति संभाजी नगर और नागपुर में भी राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय खोलने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है। महाराष्ट्र देश का अकेला राज्य होगा, जहां तीन राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय होंगे।” उन्होंने कहा कि नागपुर परिसर के लिए 500 करोड़ रुपए की लागत से यह अत्याधुनिक इमारत बनाई गई है।
“हमारी जिम्मेदारी सिर्फ इमारत खड़ी करना नहीं है, बल्कि छात्रों को वैश्विक स्तर की प्रतिभा में बदलना है।” मुख्यमंत्री ने युवाओं को संदेश देते कहा, “भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है। ऐसे में तेजी से कानूनी विवादों का निपटारा, साइबर क्राइम की चुनौतियां और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग की समझ जरूरी होगी। यह विश्वविद्यालय सिर्फ कानून पढ़ाए, ऐसा नहीं – यह बदलाव की पाठशाला बने।”
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “देवेंद्र फडणवीस की लगातार कोशिशों से यह सपना साकार हुआ। अच्छी सुविधाओं के कारण विश्वविद्यालय की गुणवत्ता भी ऊंची होगी।” उन्होंने कहा, “ज्ञान ही सबसे बड़ी ताकत है और इसे संपत्ति में बदलने की कला जरूरी है। मैं उम्मीद करता हूं कि यह विश्वविद्यालय दुनिया के सामने एक बेहतरीन उदाहरण पेश करेगा।”
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इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता, न्यायमूर्ति प्रसन्न वराले, न्यायमूर्ति अतुल चांदूरकर, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और विश्वविद्यालय के उपकुलाधिपति आलोक आराधे, नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय प्रमुख नितीन सांबरे, न्यायमूर्ति भारती डांगरे, न्यायमूर्ति अनिल किलोर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति विकास सिरपुरकर, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, राज्य के महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ, कुलपति प्रो. विजेंदर कुमार और कुलसचिव रागिनी खुबाळकर समेत कई मान्यवर मंच पर उपस्थित रहे।
समारोह में अतिथियों ने नई प्रशासकीय इमारत का दौरा किया और पुस्तकालय भवन का शिलान्यास भी किया। कुलपति विजेंदर कुमार ने स्वागत भाषण दिया और कुलसचिव रागिनी खुबाळकर ने आभार प्रकट किया।