NMRDA और NBCC के बीच समझौते करार दिखाते सीएम फडणवीस, डिप्टी सीएम शिंदे व अन्य (फोटो नवभारत)
नये व्यापारिक जिले का व्यापक विस्तार न्यू नागपुर का नवगठित व्यापारिक जिला लगभग 1,710 एकड़ (692 हेक्टेयर) के विशाल क्षेत्र में फैलेगा जिसमें से 1,000 एकड़ व्यापारिक जिले के लिए उपयोग किया जाएगा। इसी तरह से 710 एकड़ भूमि भविष्य के विस्तार के लिए आरक्षित रहेगी।
इस परियोजना में अत्याधुनिक मूलभूत सुविधाओं का ढांचा विकसित किया जाएगा जिसमें एकीकृत भूमिगत उपयोगिता ड्रेनेज, कोल्ड सिस्टम, ऑटोमेटेड सीवरेज डिस्पोजल सिस्टम और अत्याधुनिक संयंत्र जैसे घटक शामिल होंगे जिसे ‘प्लग-एंड-प्ले’ मॉडल पर विकसित किया जाएगा।
बताया जाता है कि विकास का केंद्र बिंदु परियोजना का मुख्य ध्यान स्टार्ट-अप, MSMEs, आईटी कंपनियों और वाणिज्यिक कार्यालयों के लिए व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निर्माण पर होगा। इसके साथ ही टाउन प्लानिंग दिशानिर्देशों के अनुरूप आवासीय और मिश्रित उपयोग वाले विकास भी किए जाएंगे।
परियोजना प्रबंधन और कार्यान्वयन NBCC को 1,000 एकड़ के व्यापारिक जिले के लिए योजना प्रबंधन सलाहकार (PMC) के रूप में नियुक्त किया गया है। इस योजना को अगले 15 वर्षों में 3 चरणों में कार्यान्वित किया जाएगा।
सूत्रों के अनुसार यह MoU न्यू नागपुर को एक नियोजित व्यापार और वित्त केंद्र (IBFC) के रूप में आगे बढ़ाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इसके रणनीतिक विकास और उन्नति के लिए एक मजबूत नींव रखी जा रही है। विशेषत: इस योजना को राज्य मंत्रिमंडल से 3 सितंबर 2025 को मंजूरी मिली थी।
नागपुर महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) की ओर से प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में आने वाले हिस्सों तथा सिटी में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की दृष्टि से अब ‘गोल्डन आर्च’ राजमार्ग परियोजना का प्रस्ताव तैयार किया गया है। सिटी के इनर रिंग रोड के बाद आउटर रिंग रोड का काम लगभग पूरा हो रहा है।
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इसी बीच अब सिटी के लिए 148 किमी के तीसरे रिंग रोड की तैयारी के रूप में इस प्रकल्प को देखा जा रहा है। भविष्य में सिटी के बढ़ते दायरे के रूप में भौगोलिक क्षेत्र को समाहित करने के उद्देश्य से इस प्रकल्प का लक्ष्य रखा गया।
यह परियोजना न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगी बल्कि नागपुर को शिक्षा, उद्योग, व्यवसाय और चिकित्सा के क्षेत्र में राष्ट्रीय मानचित्र पर एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगी। बताया जाता है कि पूरे प्रकल्प पर लगभग 13,748 करोड़ खर्च होने का अनुमान है जिसमें 4,800 करोड़ रुपए भूमि अधिग्रहण पर खर्च होंगे, जबकि 8,948 करोड़ से निर्माण कार्य होगा।