प्रतीकात्मक तस्वीर (सोर्स: सोशल मीडिया)
Yavatmal News: गौण खनिजों के अवैध उत्खनन का कारण देते हुए जेसीबी जब्त करना एसडीओ एवं वर्तमान में यवतमाल जिला परिषद के सीईओ और पीएसआई को मंहगा पड़ गया। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने इस कार्रवाई को अवैध और नियमों के विपरीत करार देते हुए एसडीओ सुहास गाडे और पीएसआई शशिकांत नागरगोजे पर जुर्माना ठोक दिया।
सागर भोयर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने गाडे को डेढ़ लाख रुपए और पीएसआई को 50,000 रुपए अपनी जेब से बकायदा अकाउंटपेयी चेक के माध्यम से याचिकाकर्ता सागर भोयर को भुगतान करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता भोयर की अधिवक्ता महेश धात्रक ने पैरवी की।
बताया जाता है कि पीएसआई नागरगोजे को जेसीबी से मुरुम और गिट्टी का अवैध उत्खनन होने तथा ट्रैक्टर के माध्यम से इसके परिवहन होने की सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर उसने संबंधित जगह की जांच की जिसके बाद 1 दिसंबर 2024 को पीएसआई ने घाटंजी के तहसीलदार को रिपोर्ट सौंपी। पीएसआई को मौके पर केवल जेसीबी मिली थी किंतु ट्रैक्टर नहीं थे। इसके बाद जेसीबी जब्त कर ली गई।
कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि दोनों अधिकारियों के इस तरह के आचरण के परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता को बिना किसी गलती के भारी नुकसान हुआ है। 20 लाख रुपए मूल्य की जेसीबी 13 नवंबर 2024 से लेकर 11 फरवरी 2025 तक अर्थात 83 दिनों तक बेकार पड़ी थी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधिवक्ता धात्रक ने कहा कि सामान्य तौर पर याचिकाकर्ता अन्य सभी खर्चों को छोड़कर प्रतिदिन 4,000 रुपए कमा सकता था जिसका अर्थ है कि याचिकाकर्ता को पीएसआई और एसडीओ के लापरवाह और मनमाने कृत्य के कारण लगभग 3,32,000 रुपये का नुकसान हुआ है।
एसडीओ की पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि बिना सबूत के कमाई के ऐसे बयान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है जिस पर कोर्ट ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता 4,000 रुपए न कमाता हो लेकिन प्रतिदिन न्यूनतम कमाई 2,000 रुपए होनी चाहिए। ऐसे में मुआवजे के लिए नुकसान की राशि 2 लाख रुपए निर्धारित करने का आदेश दिया, साथ ही उक्त विभाजन के अनुसार 15 दिनों के भीतर राशि याचिकाकर्ता को देने का आदेश भी दिया।
दोनों पक्षों की दलीलों के बाद हाई कोर्ट ने यवतमाल जिला, केलापुर के एसडीओ और सहायक कलेक्टर द्वारा 27 दिसंबर 2024 को पारित आदेश को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने जेसीबी छोड़ने के निर्देश भी जारी किए।
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हाई कोर्ट ने इस तरह की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताते हुए आदेश की प्रति पीएसआई शशिकांत नागरगोजे और एसडीओ सुहास गाडे के नियुक्ति प्राधिकारियों को सूचनार्थ एवं उचित कार्यवाही हेतु प्रेषित करने का भी आदेश दिया।
कोर्ट ने आदेश में एसडीओ की भूमिका को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट का मानना था कि एसडीओ ने पीएसआई और तहसीलदार द्वारा प्रस्तुत सिद्धांत पर आंख मूंदकर विश्वास कर लिया। इस बात को आसानी से नजरअंदाज कर दिया कि तहसीलदार ने कथित गौण खनिजों के परिवहन के लिए जुर्माना नहीं लगाया है, जबकि एसडीओ ने 7.50 लाख का जुर्माना लगा दिया था।