फाइल फोटो
Improvement On Compensation For Amla Trees: विदर्भ सिंचाई विकास निगम और नरेश कोटेचा व अन्य के बीच चल रहे मामले में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश में खुलासा करने का अनुरोध करते हुए वीआईडीसी ने सिविल आवेदन दायर किया जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने वीआईडीसी द्वारा दायर आवेदन को मंजूरी दे दी।
इसमें कोर्ट ने 22 दिसंबर 2020 के निर्णय के ऑपरेटिव पैराग्राफ के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था। यह आवेदन मुख्य रूप से आंवला वृक्षों के मुआवजे की गणना से संबंधित था। अपीलकर्ता का तर्क था कि न्यायालय ने संदर्भ न्यायालय के निर्णय को संशोधित करते हुए 500 आंवला वृक्षों के लिए मुआवजे की दर 2,710 रुपये प्रति वृक्ष निर्धारित की थी। इस संशोधन के बाद आंवला वृक्षों के लिए कुल देय मुआवजा 13,55,000 रुपये बनता है जिससे दर कम हो गई थी।
अपीलकर्ता ने कुल 2,11,18,309 रुपये की राशि जमा की थी जिसमें 15,35,000 रुपये का बढ़ाया गया मुआवजा शामिल था। 2020 के पिछले निर्णय में निर्देश दिया गया था कि यदि प्रतिवादी दावेदार ने मुआवजे की राशि निकाल ली हो तो आंवला वृक्षों के मुआवजे के अंतर की राशि 6% वार्षिक ब्याज सहित अधिग्रहणकर्ता निकाय को वापस की जाए। हालांकि प्रतिवादी दावेदार के वकील ने न्यायालय को बताया कि उसने मुआवजे की कुल राशि नहीं निकाली है, इसलिए उन्हें 6% ब्याज का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी जिस पर अपीलकर्ता के वकील ने भी सहमति व्यक्त की।
ये भी पढ़ें: AG और BVG को बचाने की जुगत में अधिकारी,केंद्रीय मंत्री का आदेश दरकिनार, महीने भर में मांगा नया प्लान
अपीलकर्ता ने शुरू में दावा किया था कि रिफंड की जाने वाली राशि 20,43,975 रुपये है. हालांकि उचित सत्यापन और गणना के बाद प्रतिवादी दावेदार के वकील ने कहा कि रिफंड की जाने वाली वास्तविक राशि 6,37,570 रुपये है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अपीलकर्ता इस सत्यापित राशि 6,37,570 रुपये को ब्याज सहित यदि कोई हो तो वापस पाने का हकदार है। साथ ही प्रतिवादी दावेदार शेष मुआवजे की राशि को वापसी (रिफंड) की राशि काटने के बाद ब्याज सहित प्राप्त करने का हकदार है। न्यायालय ने रजिस्ट्री को राशि के वितरण के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया है।