नागपुर न्यूज
Nagpur Municipal Corporation Election News: हाल ही में हुए नगर परिषद और नगर पंचायत चुनावों में मिली बड़ी जीत के बाद भाजपा और महायुति का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है।
इसी जीत की लय को आगे बढ़ाने के इरादे से अब महायुति ने नागपुर नगर निगम चुनाव 2026 की तैयारियां तेज कर दी हैं। नागपुर, जिसे लंबे समय तक कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है, वहां बदलते राजनीतिक समीकरण सभी दलों के लिए चुनौती और अवसर दोनों बनकर सामने आ रहे हैं। ऐसे में टिकट बंटवारे को लेकर शीर्ष नेतृत्व को बेहद सतर्कता बरतनी पड़ रही है।
नागपुर में भाजपा और शिवसेना महायुति के तहत मिलकर चुनाव लड़ेंगी, इस पर अब सहमति बन चुकी है। मौजूदा जानकारी के अनुसार, भाजपा 143 सीटों पर और शिवसेना 8 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि सीट बंटवारे को लेकर बातचीत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है।
शिवसेना की ओर से दो अतिरिक्त सीटों-वार्ड 21 और वार्ड 24-पर दावा किया जा रहा है। सोमवार रात भाजपा और शिवसेना नेताओं के बीच हुई बैठक में आठ सीटों पर सहमति बनी, लेकिन शिवसेना की अतिरिक्त मांग के चलते मंगलवार को फिर से चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है। वहीं, अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नागपुर में अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला कर चुकी है।
दूसरी ओर, कांग्रेस के लिए स्थिति थोड़ी असहज नजर आ रही है। नामांकन दाखिल करने का आज आखिरी दिन है, लेकिन कई कांग्रेस उम्मीदवारों के पास अब तक एबी फॉर्म नहीं पहुंचा है। पार्टी नेतृत्व की ओर से उम्मीदवारों को संदेश दिया गया है कि सुबह 10 बजे तक एबी फॉर्म उपलब्ध करा दिए जाएंगे। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि समय रहते किसे अधिकृत उम्मीदवारी मिल पाती है और कौन दौड़ से बाहर होता है।
इस बीच भाजपा ने उम्मीदवार चयन में एक अलग रणनीति अपनाकर सबका ध्यान खींचा है। पार्टी ने कई वार्डों में लंबे समय से चुने जा रहे वरिष्ठ नगरसेवकों के बजाय युवा और शिक्षित चेहरों को मौका दिया है।
खातौर पर वार्ड 24 से 24 वर्षीय सिविल इंजीनियर दुर्गेश्वरी कोसेकर को मैदान में उतारकर भाजपा ने चौंकाया है। दुर्गेश्वरी नागपुर नगर निगम चुनाव की सबसे कम उम्र की उम्मीदवारों में शामिल हो गई हैं।
ये भी पढ़ें :- MBMC चुनाव में सस्पेंस, भाजपा-शिवसेना उम्मीदवारों ने पार्टी नाम छोड़ा खाली
कुल मिलाकर, नागपुर नगर निगम चुनाव 2026 में युवा बनाम अनुभव, गठबंधन बनाम एकल लड़ाई और परंपरागत गढ़ों में बदलती राजनीति-ये सभी पहलू चुनाव को बेहद रोचक बना रहे हैं।