फेशियल अटेंडेंस एप (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur News: महानगर पालिका रैकिंग में फिसड्डी साबित होने के बाद अब सफाई कर्मचारियों पर नकेल कसने के लिए मनपा के घनकचरा विभाग की ओर से फेशियल अटेंडेंस एप तैयार किया जा रहा है। सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए एसओपी भी तैयार की जा रही है। फेशियल अटेंडेंस एप के माध्यम से अब हाजिरी स्टैंड पर जमादार उसके अंतर्गत कार्यरत सफाई कर्मचारियों की हाजिरी तय करेंगे।
न केवल एक बल्कि तीन बार इस तरह की हाजिरी ली जाएगी। सफाई कर्मचारियों के हाजिरी लगाने के बाद गायब होने के मामले भी सामने हुए थे। इसलिए अब केवल एप से हाजिरी ही नहीं लगाई जाएगी बल्कि उसे दिए गए क्षेत्र में सफाई हुई या नहीं, इसका आकलन भी किया जाएगा। इसके लिए एसओपी तैयार की जा रही है।
मनपा की ओर से फेशियल अटेंडेंस एप तैयार किया जा चुका है। हाजिरी स्टैंड पर सफाई कर्मचारियों की हाजिरी इस एप द्वारा कैसे ली जाएगी, इसका प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। सिटी में कुल 75 हाजिरी स्टैंड हैं। इसके माध्यम से सफाई कर्मचारियों द्वारा सफाई सुनिश्चित की जाती है। अधिकारियों का दावा है कि अब कोई भी सफाई कर्मचारी बिना काम पर आए हाजिरी नहीं लगा पाएगा।
यहां तक कि हाजिरी लगाने के बाद एक स्थान पर बैठा भी नहीं रह पाएगा। उसे निर्धारित करके दी गई सड़क की सफाई सुनिश्चित ही करनी होगी। एप के अनुसार सर्वप्रथम जमादार को अपने फेस की रीडिंग लेकर उपस्थिति दर्ज करनी होगी। उसके बाद ही यह एप काम करना शुरू करेगा। ऐसे में जमादारों की जिम्मेदारी भी निश्चित हो जाएगी।
जानकारों की मानें तो आम तौर पर स्थानीय नेताओं द्वारा कुछ जमादारों को उनके क्षेत्र में रखने के लिए दबाव बनाया जाता है। चूंकि संबंधित जमादार किसी एक राजनीतिक दल से जुड़ हुआ होता है, ऐसे में उसे दबाव से मुक्त रखने का प्रयास भी किया जाता है। सिफारिश वाले ऐसे कर्मचारियों द्वारा काम में कोताही बरतने के आरोप भी लगते रहे हैं किंतु अब फेशियल अटेंडेंस एप और एसओपी तैयार होने के बाद किसी भी कर्मचारी को बख्शा नहीं जा सकेगा।
पूरी प्रणाली पारदर्शी होने के कारण कौन जमादार या कर्मचारी काम नहीं कर रहा है, इसका तुरंत खुलासा होगा। यदि बार-बार इस तरह की कार्यप्रणाली उजागर होती है तो एप के माध्यम से ही अलर्ट जारी होगा। इसके बाद संबंधित कर्मचारी पर कार्रवाई की जाएगी।
सफाई कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने के लिए कुछ वर्षों पूर्व जीपीएस घड़ी दी गई थी किंतु कई कारणों से इसमें सफलता नहीं मिल पाई। इसके अलावा जीपीएस घड़ी के रखरखाव को लेकर मनपा पर वित्तीय बोझ भी था किंतु यह एप कारगर साबित होगा। जीपीएस घड़ी की तरह इस पर कोई खर्च भी नहीं करना होगा। केवल एप तैयार करने के लिए एकमुश्त राशि खर्च होगी।
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वर्ष 2018 में मनपा ने कर्मचारियों के काम पर नज़र रखने और उनकी नियमितता सुनिश्चित करने के लिए जीपीएस ट्रैकिंग क्षमता वाली स्मार्ट घड़ियां प्रदान की थीं। 8,000 कर्मचारियों को ये स्मार्ट घड़ियां प्रदान करने में लगभग 13 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। सफाई कर्मचारियों को भी स्मार्ट घड़ियां प्रदान की गई थीं। इससे असंतोष बढ़ गया था। मनपा ने मदन नागपुरे नामक एक सफाई निरीक्षक को स्मार्ट घड़ी न पहनने के कारण निलंबित भी कर दिया था। हालांकि उसके बाद भी कोई खास असर नहीं हुआ और स्मार्ट घड़ी और उस पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये बर्बाद हो गए।