महावितरण (सोर्स: सोशल मीडिया)
Mahavirtan Employees Strike: महावितरण में 7 बिजली कर्मचारी संघों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने 9 से 11 अक्टूबर तक हड़ताल का आह्वान किया है। इस 3 दिवसीय हड़ताल के दौरान सुचारु बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए महावितरण द्वारा आपातकालीन योजना बुधवार (8 अक्टूबर) को पूरी कर ली गई और पूरे राज्य में व्यवस्था तैयार कर ली गई है।
साथ ही गंभीर कारणों से ली गई छुट्टियों को छोड़कर सभी इंजीनियरों, अधिकारियों और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं। छुट्टी पर गए कर्मचारियों को तुरंत काम पर लौटने का निर्देश दिया गया है।
इस बीच प्रबंधन की ओर से बार-बार सकारात्मक चर्चा और अपील के बावजूद संयुक्त कार्रवाई समिति ने हड़ताल के फैसले को बरकरार रखा है। चूंकि बिजली एक आवश्यक सेवा है, इसलिए नागरिकों को होने वाली असुविधा को रोकने के लिए महाराष्ट्र आवश्यक सेवा संरक्षण अधिनियम (मेस्मा) लागू करते हुए इस हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया गया है।
हड़ताल के दौरान नागरिकों को बिजली आपूर्ति के संबंध में किसी भी नकारात्मक और गलत संदेश पर विश्वास नहीं करना चाहिए। बिजली आपूर्ति सुचारु बनाए रखने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था दिन-रात युद्ध स्तर पर तैयार रहेगी। बिजली आपूर्ति को लेकर कोई भी शिकायत या शंका हो तो 24 घंटे टोल-फ्री नंबर पर संपर्क करें और हड़ताल अवधि में सहयोग करें, ऐसी अपील महावितरण ने की है।
बिजली कर्मचारियों के 7 संगठनों की संयुक्त कार्रवाई समिति ने निजीकरण और पुनर्गठन के मुद्दों पर 3 दिवसीय हड़ताल का नोटिस दिया था। इस हड़ताल को टालने के लिए प्रबंधन द्वारा समय-समय पर चर्चा की गई।
राज्य की अतिरिक्त मुख्य सचिव आभा शुक्ला और महावितरण के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक लोकेश चंद्र ने अलग-अलग बैठक कर कार्रवाई समिति के पदाधिकारियों के साथ विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इन बैठकों में निजीकरण न होने का स्पष्ट आश्वासन दिया गया।
प्रबंधन ने यह भी स्पष्ट किया कि महावितरण कंपनी के 329 उप केंद्रों का ठेके पर संचालन शुरू करने का आरोप भी गलत है। अप्रैल 2019 के बाद बने 329 उप केंद्रों का निजीकरण नहीं किया गया है। ये उप केंद्र महावितरण के संबंधित कार्यालयों के अधिकार क्षेत्र में हैं।
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इन उप केंद्रों में बाहरी कुशल जनशक्ति के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और इस संबंध में संबंधित एजेंसियों को कार्य आदेश दिए जा चुके हैं। यह स्पष्ट किया गया है कि इसमें किसी भी प्रकार का निजीकरण नहीं किया जा रहा है।
अधिकारी और अभियंता संयुक्त कार्रवाई समिति ने कहा कि चूंकि 6 अक्टूबर को ऊर्जा सचिव, महावितरण के प्रबंध निदेशक और तीनों कंपनियों के निदेशकों के साथ हुई बैठक और प्राप्त एमओएम में विरोधाभास था, इसलिए बुधवार को हुई बैठक में कोई समाधान नहीं निकला।
प्रशासन ने एक्शन कमेटी का कोई पक्ष नहीं सुना। चूंकि प्रशासन अपना रुख नहीं बदल रहा है, इसलिए चर्चाएं निष्फल हैं। एक्शन कमेटी हड़ताल पर अडिग है। बिजली उद्योग के असंवैधानिक निजीकरण को रोकने के लिए सभी कर्मचारी, अधिकारी और कार्यकर्ता 9, 10 और 11 अक्टूबर को 72 घंटे की हड़ताल पर जाएंगे।