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नागपुर. शहर बस सेवा मनपा को हस्तांतरित होने के बाद विशेष रूप से मोरभवन बस अड्डे पर अधिकार के लिए एसटी विभाग और मनपा के बीच काफी संघर्ष हुआ. किसी तरह मनपा को आपली बसों का संचालन करने के लिए शुरुआत में केवल 4 प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराए गए. अब वर्तमान में यहां से 11 प्लेटफॉर्म से आपली बसों का संचालन हो रहा है. किंतु मोरभवन बस अड्डे का मनपा रखरखाव नहीं कर पा रही है.
राजधानी के शहरों के बस अड्डों की तुलना में मोरभवन को भी हाईटेक बनाने की दिशा में प्रयास शुरू किए गए थे किंतु मनपा की हमेशा की कार्यप्रणाली के अनुसार यह कागजों तक ही सीमित रहा है. मनपा की खटारा बसों के बेड़े में अब नये सिरे से इलेक्ट्रिक बसें भी शामिल हुई हैं. किंतु स्मार्ट सिटी की ओर अग्रेसर शहर का बस अड्डा उसी पुराने ढर्रे पर संचालित हो रहा है.
मोरभवन बस अड्डे के लिए काफी वर्षों पूर्व पूरे परिसर का डामरीकरण किया गया था. वर्तमान में मोरभवन बस अड्डा एसटी महामंडल द्वारा संचालित किया जाता है. यहां से एसटी बसों के संचालन के लिए 6 प्लेटफॉर्म हैं, जबकि मनपा की आपली बसों के संचालन के लिए 11 प्लेटफॉर्म हैं.
शुरुआत में एसटी विभाग ने आपली बस को केवल 3 प्लेटफॉर्म आवंटित किए थे किंतु बाद में मनपा को 8 प्लेटफॉर्म तैयार करने की अनुमति दी गई जिसके अनुसार यहां से सर्वाधिक आपली बस का संचालन हो रहा है. मनपा के परिवहन विभाग ने रखरखाव के लिए सेवानिवृत्त कर्मचारी की नियुक्ति की है. यही कारण है कि रखरखाव नजरअंदाज है. आलम यह है कि गत 2 वर्ष से मेंटेनेंस के नाम पर कुछ भी नहीं किया गया.
मनपा द्वारा निर्मित किए गए प्लेटफॉर्म का रखरखाव नहीं किए जाने के कारण लगभग सभी प्लेटफॉर्म की छतें पूरी तरह उड़ गई हैं जिससे मजबूरन यात्रियों को तेज धूप में खड़े रहना पड़ता है. यहां तक कि मोरभवन में यात्रियों के पेयजल, शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है. किसी तरह बसों का संचालन तो किया जा रहा है. किंतु आलम यह है कि मोरभवन के प्रवेश द्वार से लेकर भीतर तक जहां-तहां गड्ढों की भरमार है. यहां से निकलते वक्त बसों में बैठे यात्रियों को रेगिस्तान में ऊंट की सवारी जैसा अनुभव लेना पड़ता है.