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फैशन का रूप ले चुका ईयरफोन, कान की समस्या से जुझ रहे युवा, बहरापन और डिप्रेशन की बढ़ी समस्याएं

Earphone: नागपुर शहर का अधिकांश युवा वर्ग आज कानों में ईयरफोन लगाकर घुमते दिखाई दे रहे हैं। इसमें बच्चों का भी समावेश है जिससे अधिकांश युवा कान की समस्या से जुझ रहे हैं।

  • By प्रिया जैस
Updated On: Dec 06, 2025 | 02:52 PM

ईयरफोन (फाइल फोटो)

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Hearing Loss: कानों में ईयरफोन लगाने के कारण दुर्घटनाएं भी हो रही है। उसी प्रकार दूसरे वाहनों के हॉर्न पर भी ध्यान नहीं जा रहा है जिससे दुर्घटना होने की अधिक संभावना बनी रहती है। जानकारी के अनुसार सुबह मॉर्निंग वॉक से लेकर खाना खाने, रात को बेड पर लेटे हुए भी लोगों के कानों में ईयरफोन या एयरपॉड्स लगे रहते हैं। कई लोग पूरे समय इन्हें अपने कानों में या गले में लटकाए रहते हैं, जो अब फैशन का रूप ले चुका है।

देश-दुनिया में हुई कई रिसर्च और डाक्टरों के अनुसार, इस आदत के चलते सुनने में समस्या, लाइफस्टाइल, सोशल आइसोलेशन, डिप्रेशन जैसी कई समस्याएं सामने आ रही हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, हाई इंटेंसिटी म्यूजिक, वेब सीरीज, फिल्म मोबाइल में सुनने के कारण ये दिक्कतें अब आम होती जा रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल करने से कानों की उन महीन नसों पर असर पड़ता है, जिसकी मदद से हमें कोई ध्वनि सुनाई देती है। नसों के डैमेज होने से बहरापन, डिप्रेशन आदि समस्याएं होती हैं।

चक्कर, नींद न आना जैसे लक्षण

जरूरत से ज्यादा ईयरफोन का इस्तेमाल सुनने की क्षमता को कम कर देता है। लंबे समय से ईयरफोन से गाने सुनने पर व्यक्ति के कान सुन्न हो सकते हैं। डाक्टर्स की मानें तो ईयरफोन का ज्यादा इस्तेमाल करने से कानों में छन-छन की आवाज आना, चक्कर आना, नींद न आना, सिर और कान में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

कॉकलिया लेयर होती है खराब

डॉक्टरों के मुताबिक, 80 डेसीबल साउंड को अगर एक दिन में 8 घंटे से ज्यादा सुना जाए तो बहरापन बढ़ेगा। कान की तीसरी लेयर कॉकलिया यदि एक बार डैमेज हो गया तो यह कभी नहीं सुधरता। वहीं, ईयरफोन या ईयरपॉड्स लगाने से कान का वैक्स पीछे चला जाता है जो कान के सिर्फ आउटर लेयर के एक तिहाई हिस्से में होता है।

यह भी पढ़ें – गड़चिरोली में स्कूल बंद, TET के खिलाफ शिक्षकों ने जिलाधीश कार्यालय पर दिया धरना, रखी ये मांग

80 डेसिबल से ज्यादा साउंड नहीं

हमारे कानों के सुनने की क्षमता सिर्फ 80 डेसीबल होती है, जो धीरे-धीरे 40-50 तक कम हो जाती है। जिससे बहरनेपन की शिकायत होने लगती है। इसके साथ ही सिर दर्द और नींद न आना जैसी बीमारियां भी होने लगती हैं। तेज आवाज से ईयर कैनल में दबाव पड़ता है। जिससे चक्कर या सिर दर्द महसूस होता है।

Earphones fashion ear problems hearing loss and depression

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Published On: Dec 06, 2025 | 02:51 PM

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