हाई कोर्ट (सौजन्य-सोशल मीडिया)
Nagpur News: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र की एक स्थानीय अदालत में लंबित घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत दर्ज कार्यवाही पर रोक लगा दी है। यह शिकायत पवित्रा ने अपने पति कार्तिक के खिलाफ दर्ज कराई थी। मामला न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ के समक्ष आया था। पति कार्तिक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा ए. अहमदी के साथ अधिवक्ता सुरभि (गोडबोले) नायडू ने दलीलें पेश कीं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार कार्तिक और पवित्रा का विवाह 2018 में कोयम्बटूर में हुआ था। विवाह के बाद दोनों अमेरिका चले गए थे क्योंकि वे 2010 से वहां कार्यरत और निवासी थे। पवित्रा एप्पल कंपनी में और कार्तिक फेसबुक में कार्यरत हैं। उनका बेटा भी अमेरिका में ही पैदा हुआ है और वहीं स्कूल जा रहा है।
विवाद के चलते पवित्रा ने पहले कैलिफोर्निया की सुपीरियर कोर्ट में अमेरिकी घरेलू हिंसा कानून के तहत शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन बाद में उन्होंने उसे वापस ले लिया था। इसके बाद पवित्रा ने महाराष्ट्र में अपने पिता के पते का हवाला देते हुए JMFC कोर्ट में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत कार्यवाही शुरू की।
इसी तरह कार्तिक ने महाराष्ट्र की अदालत के अधिकार क्षेत्र को चुनौती देते हुए घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 27 के तहत एक आवेदन दायर किया था लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। उच्च न्यायालय ने भी कार्तिक की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पवित्रा अमेरिका के सैन जोस में रहती हैं और उन्होंने वहीं घर खरीदा है जहां उनकी मासिक आय 35,00,000 रुपये है। यहां तक कि वह कनाडा की पीआर होल्डर हैं और उनका ग्रीन कार्ड भी प्रक्रिया में है जिससे यह स्पष्ट होता है कि उनका भारत लौटने का कोई इरादा नहीं है।
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भारत में कोई ‘कॉज ऑफ एक्शन’ (मामले का कारण) उत्पन्न नहीं हुआ है और शिकायत में ऐसी कोई आरोपजनक बात नहीं है जो पति और ससुराल वालों को भारत में किसी कथित कृत्य के लिए दोषी ठहराया जा सके। पवित्रा द्वारा दायर की गई कार्यवाही कानून का दुरुपयोग है और अमेरिका में घरेलू हिंसा याचिका दायर करने के बावजूद उन्होंने कार्यवाही को वापस ले लिया और पति और ससुराल वालों को परेशान करने के गलत इरादे से महाराष्ट्र में याचिका दायर की।