डॉक्टर्स का आंदोलन (सौजन्य-नवभारत)
Nagpur Private Hospitals: महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की ओर से होम्योपैथी डॉक्टरों को महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल में पंजीयन देने के विरोध में एकदिवसीय कामकाज बंद आंदोलन किया गया। इसमें मेडिकल और मेयो के निवसी डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। केवल इमरमेंसी सेवा को छोड़ ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर में सेवा का बहिष्कार किया गया।
हालांकि एक दिन का आंदोलन होने से ज्यादा असर नहीं पड़ा लेकिन कुछ नियोजित सर्जरी स्थगित की गईं। इस बीच डॉक्टरों ने ओपीडी के सामने प्रदर्शन किया और बाद में जिला प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा। होम्योपैथी डॉक्टरों को एमएमसी में पंजीयन देने का राज्य भर में विरोध हो रहा है। राज्य भर के सभी मेडिकल कॉलेजों के निवासी डॉक्टरों सहित इंटर्न ने भी आंदोलन में हिस्सा लिया। सुबह 9 बजे से कामकाज बंद कर दिया गया था।
केवल इमरजेंसी सेवाएं ही दी गईं। ओपीडी में डॉक्टरों के नहीं होने से मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सबसे ज्यादा दिक्कतें एक्स-रे, सोनोग्राफी, एमआरआई सेक्शन में आईं। यहां की व्यवस्था निवासी डॉक्टरों के भरोसे ही होती है। कुछ नियोजित ऑपरेशन भी टाले गये। साथ ही विविध तरह की टेस्ट में व्यवधान आया।
सभी निवासी डॉक्टर शाम के बाद से सेवा में शामिल हो गए। सरकार द्वारा जल्द योग्य निर्णय नहीं लिये जाने पर तीव्र आंदोलन की चेतावनी दी गई है। आंदोलन में डॉ. अमोल धनफुले, डॉ. प्रतीक देबाजे, डॉ. धीरज सालुंके, डॉ. स्वाति पटले, डॉ. अंकित यादव, डॉ. भूषण पाटिल आदि शामिल हुए।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 24 घंटे का बंद किया गया। गुरुवार को अधिकांश अस्पतालों में ओपीडी बंद रखी गई। साथ ही इमरजेंसी होने पर मेडिकल और एम्स में रेफर कर दिया गया। इस बीच आईएमए सभागृह में एकत्रित डॉक्टरों ने सरकार की नीति का विरोध किया। साथ ही होम्योपैथी के डॉक्टरों को एनएमसी में पंजीयन के लिए 5 सितंबर को जारी किया गया अध्यादेश वापस लेने की मांग की गई। संगठन की ओर से एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया। जिला प्रशासन के माध्यम से यह ज्ञापन भेजा गया।
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अध्यक्ष डॉ. राजेश सावरबांधे ने बताया कि बंद में अधिकांश डॉक्टरों ने हिस्सा लिया। अस्पतालों में ओपीडी बंद रखी गई। साथ ही नये मरीजों को भर्ती नहीं किया गया। जो मरीज भर्ती हैं उन्हीं का नियमित उपचार जारी रहा। आंदोलन में डॉ. जितेंद्र साहू, डॉ. वाईएस देशपांडे, डॉ. आशीष दिसावल, डॉ. बीके शर्मा, डॉ. अर्चना कोठारी आदि ने हिस्सा लिया।
प्राइवेट डॉक्टरों की ओपीडी बंद होने से गुरुवार को मरीजों ने मेयो, मेडिकल और एम्स की ओर से रुख किया। वहीं पहले से ही डॉक्टर के पास नंबर लगाकर इलाज की प्रतीक्षा करने वालों को भी परेशानी हुई। अनेक मरीज अन्य जिलों से आते हैं लेकिन ओपीडी बंद होने से उन्हें रुकना पड़ा। सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या तो बढ़ी लेकिन निवासी डॉक्टरों के नहीं होने से यहां भी इंतजार करना पड़ा। कई मरीज बिना इलाज कराए ही लौट गए।