दीक्षाभूमि (सौजन्य - ians)
Deekshabhoomi: दीक्षाभूमि पर सुबह से ही शुरू किये गये इस दीक्षा समारोह में देर रात तक 5 हजार से अधिक अन्य धर्मियों द्वारा तथागत गौतम बुद्ध का ‘बौद्ध’ धर्म स्वीकार किया गया। 22 प्रतिज्ञा लेते हुए बुद्ध द्वारा बताये गये आचरण को प्रत्यक्ष जीवन में प्रतिबिंबित करने की शपथ भी इस अवसर पर ली गई। इसी समारोह में कुछ बंधुओं ने श्रामणेर की दीक्षा भी ली। धम्मदीक्षा के लिए जापान से 30 प्रतिनिधियों की एक टीम पहुंची हैं।
डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति, दीक्षाभूमि एवं भिक्खु संघ के सहकार्य से धम्मदीक्षा का कार्यक्रम सतत शुरू है। प्रति वर्ष अनुसार इस बार भी पवित्र दीक्षाभूमि पर धम्मदीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया है। 30 सितंबर से शुरू हुआ समारोह 2 अक्टूबर तक सतत तीन दिनों तक चलने वाले इस धम्मदीक्षा समारोह में विविध राज्यों से आये उपासक, उपासिका, अनुयायी व श्रमणेर को भिक्खु संघ की ओर से दी जा रही है।
भदंत सुरेई ससाई की प्रमुख उपस्थिति में मंच पर भंते नागसेन, भंते प्रज्ञाबोधी, भंते अश्वजीत, भंते धम्मविजय, भंते महानागा, भंते कश्यप, भंते बुद्धघोष, भंते धम्मप्रकाश, भंते मिलद, भंते धम्मशील, भंते संघ, शांतिनागा उपस्थित थे। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस का तगड़ा बंदोबस्त किया गया है।
धम्मदीक्षा के लिए धम्मसेना की और से से कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी धम्म दीक्षा लेने वालों के आवेदन भरने का कार्य कर रहे है। एक आवेदन पर एक ही परिवार के ज्यादा ज्यादा पांच अनुयायियों के नाम का पंजीयन किया जा रहा है, मंगलवार को धम्मदीक्षा के बाद में सभी को प्रमाणपत्र वितरित किये गये।
धम्मसेना के दीपक मुनघाटे, गणेश दुपारे सहित पदाधिकारी एवं भिक्खुसंघ सहकार्य कर रहे है। दीक्षाभूमि यह प्रेरणाभूमि है वहां से मिलने वाली ऊर्जा से जीवन में सकारात्मकता निर्माण होती है। उपासक, उपासिका एवं अनुयायी काफी प्रमाण में आते है एवं उनके द्वारा धम्मदीक्षा लेने की बात भदत ससाई ने कही।
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दीक्षाभूमि पर वर्षों से अभी तक देश व विदेश के लाखों अनुयायियों ने धम्मदीक्षा ली हैं। प्रति वर्ष दीक्षाभूमि पर इस समारोह की प्रतीक्षा की जाती हैं। धम्मचक्र प्रवर्तन दिन की शुरुआत ही इस समारोह के साथ होती है। बुधवार को दीक्षा लेने वालों की काफी भीड़ बढ़ सकती हैं। विशेषतः उत्तर भारत से अनेक राज्यों से आये अनुयायियों में दीक्षा लेने वालों की संख्या काफी अधिक होती हैं। बहुत से अनुयायियों को भंते सुरेई ससाई के हाथों धम्मदीक्षा मिले ऐसी इच्छा रहती हैं।