देवलापार स्थित गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र पहुंचे राज्यपाल आचार्य देवव्रत (फोटो नवभारत)
International Patents Cow Products: भारतीय गायों के आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ बहुत अधिक हैं। गाय से दूध उत्पाद, जैविक खाद प्राप्त होते हैं और जैविक खेती में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसी बात को पहचानते हुए देवलापार स्थित गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र अपनी प्रगति जारी रखे हुए है।
देश की सर्वप्रथम और विशाल पंचगव्य प्रयोगशाला में पंचगव्य से संबंधित विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ अनुसंधान करने के अलावा केंद्र में दही, घी, मूत्र और गोबर से विभिन्न उत्पाद और औषधियां विकसित की जा रही हैं। परिसर में जैविक खेती की जाती है। साथ ही उत्पादों में सुगंधित अगरबत्ती, गोबर से बनीं मूर्तियों से लेकर साबुन तक का निर्माण किया जाता है।
इस केंद्र ने गौ रक्षा से लेकर ऊर्जा स्वावलंबन का मंत्र अपनाया है और अब तक इस केंद्र को 5 अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त हुए हैं। केंद्र में गायों और उनके 5 आवश्यक उत्पादों (दूध, दही, घी, मूत्र और गोबर) को सामूहिक रूप से पंचगव्य के रूप में जाना जाता है और इनके बहुआयामी लाभों पर शोध और प्रचार किया जाता है। पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का समन्वय करके इस केंद्र की सफल प्रगति जारी है। ये उत्पाद अत्यंत किफायती कीमतों पर केंद्र सहित विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध हैं।
ऊर्जा स्वावलंबन पर जोर केंद्र के अध्यक्ष पद्येश गुप्ता ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही गो विज्ञान केंद्र और रामदेव बाबा विश्वविद्यालय ने संयुक्त रूप से एक अभिनव अनुसंधान परियोजना शुरू की है। इस परियोजना के तहत बैल-चालित टर्बाइन के माध्यम से बिजली उत्पादन संभव हो सकेगा. इस प्रस्तावित संयंत्र के लिए एक छतरीनुमा कैनोपी लगाई जाएगी। यह कैनोपी सौर ऊर्जा पैनलों से तैयार की जाएगी, जिससे दिन भर सौर ऊर्जा से लगातार बिजली का उत्पादन होता रहेगा।
गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र ने देसी गौवंश का विकास मुख्य उद्देश्य रखा है। संस्थान ने विभिन्न परियोजनाओं के विज्ञान आधारित क्रियान्वयन से यह सिद्ध किया है कि दूध के समान ही गोबर और गोमत्र भी महत्वपूर्ण है और ये कृषक तथा गोपालक के लिए आय का एक मजबूत विकल्प बन सकते हैं। इसी दृष्टिकोण से केंद्र ने सीएसआईआर नीरी, केवीआईसी, एमजीआईआरआई, आरसीओएनएफ, एम्स, वीएनआईटी, माफसू, सीआईआईएमएस जैसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों के साथ प्रौद्योगिकी समझौतों पर हस्ताक्षर करके विभिन्न उत्पाद तैयार किए हैं। संस्थान यहां के 5 उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय पेटेंट प्राप्त करने में भी सफल रहा है।
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राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने इस केंद्र का दौरा किया और इसके कार्यों की सराहना करते हुए भारतीय गौवंश के अनुसंधान और संरक्षण के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा की। दौरे के दौरान वित्त एवं नियोजन राज्य मंत्री आशीष जायसवाल, राज्यपाल के सचिव डॉ. प्रशांत नारनवरे, गो विज्ञान अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष पद्येश गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. हेमंत जांभेकर सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।