Hindi news, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar, हिंदी समाचार, Latest Hindi News
X
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • धर्म
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • करियर
  • टेक्नॉलजी
  • हेल्थ
  • ऑटोमोबाइल
  • वीडियो
  • चुनाव

  • ई-पेपर
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • राजनीति
  • खेल
  • लाइफ़स्टाइल
  • क्राइम
  • नवभारत विशेष
  • मनोरंजन
  • बिज़नेस
  • अन्य
    • वेब स्टोरीज़
    • वायरल
    • ऑटोमोबाइल
    • टेक्नॉलजी
    • धर्म
    • करियर
    • टूर एंड ट्रैवल
    • वीडियो
    • फोटो
    • चुनाव
  • देश
  • महाराष्ट्र
  • विदेश
  • खेल
  • क्राइम
  • लाइफ़स्टाइल
  • मनोरंजन
  • नवभारत विशेष
  • वायरल
  • राजनीति
  • बिज़नेस
  • ऑटोमोबाइल
  • टेक्नॉलजी
  • धर्म
  • वेब स्टोरीज़
  • करियर
  • टूर एंड ट्रैवल
  • वीडियो
  • फोटो
  • चुनाव
In Trends:
  • Tariff War |
  • Weather Update |
  • Aaj ka Rashifal |
  • Parliament Session |
  • Bihar Assembly Elections 2025 |
  • Share Market
Follow Us
  • वेब स्टोरीज
  • फोटो
  • विडियो
  • फटाफट खबरें

बुद्ध पूर्णिमा विशेष: दीक्षाभूमि पर बसा बुद्धत्व का वंशज ‘बोधिवृक्ष’, बाबासाहेब की क्रांतिकारी धम्मभूमि को मिली पावन विरासत

नागपुर की दीक्षाभूमि, जो संविधान निर्माता भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर सामाजिक क्रांति की नींव रखने वाली पवित्र भूमि है, अब एक और ऐतिहासिक धरोहर की साक्षी बन चुकी है।

  • By आंचल लोखंडे
Updated On: May 12, 2025 | 09:55 PM

बुद्ध पोर्णिमा विशेष (सौजन्यः सोशल मीडिया)

Follow Us
Close
Follow Us:

नागपुर: नागपुर की दीक्षाभूमि, जो संविधान निर्माता भारतरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा लेकर सामाजिक क्रांति की नींव रखने वाली पवित्र भूमि है, अब एक और ऐतिहासिक धरोहर की साक्षी बन चुकी है। यहां स्थापित बोधिवृक्ष न केवल एक धार्मिक प्रतीक है, बल्कि वह तथागत बुद्ध के ज्ञान का जीवंत वंशज है। यह वृक्ष सामान्य पीपल नहीं, बल्कि उसी वंश का है जिसके नीचे सिद्धार्थ गौतम ने ज्ञान प्राप्त कर बुद्धत्व प्राप्त किया था।

बोधिवृक्ष का ऐतिहासिक सफर: भारत से श्रीलंका और फिर वापस नागपुर

धम्मचक्र प्रवर्तन के पश्चात सम्राट अशोक ने बुद्ध धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संगमित्रा को श्रीलंका भेजा। उनके साथ बोधगया स्थित मूल बोधिवृक्ष की एक शाखा भी भेजी गई थी। श्रद्धा और सम्मान के साथ यह शाखा श्रीलंका के अनुराधापुरा में रोपित की गई और समय के साथ यह वृक्ष एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में प्रतिष्ठित हुआ। इसकी रक्षा के लिए चारों ओर सुरक्षा घेरे बनाए गए और उसके ऊपर स्वर्णकलश स्थापित किया गया।

भदंत आनंद कौसल्यायन की पहल

इस पवित्र बोधिवृक्ष की शाखा को नागपुर की दीक्षाभूमि तक लाने का श्रेय प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान और धम्मचिंतक भदंत आनंद कौसल्यायन को जाता है। वे डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के अनुयायी और दीक्षाभूमि से गहराई से जुड़े हुए थे। जब उन्होंने श्रीलंका सरकार से इस वृक्ष की शाखा भारत भेजने का अनुरोध किया, तब वहां की संसद ने विशेष प्रस्ताव पारित कर इसकी अनुमति दी। इस ऐतिहासिक पहल में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्मारक समिति की महत्वपूर्ण भूमिका रही। तत्कालीन अध्यक्ष दादासाहेब गायकवाड और कार्यवाह सदानंद फुलझेले ने कौसल्यायन जी के प्रयासों को सफल बनाने में सक्रिय सहयोग दिया।

बुद्ध पूर्णिमा पर उपराजधानी में उमड़ेगा जनसैलाब…

12 मई 1968 — दीक्षाभूमि पर ऐतिहासिक रोपण

3 कोमल बोधिवृक्ष की शाखाएं विशेष रूप से कुंडियों में रखकर श्रीलंका से विमान द्वारा भारत लाईं गईं। 12 मई 1968 को नागपुर की दीक्षाभूमि में एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता दादासाहेब गायकवाड ने की। वहां तीनों पौधों को एक ही स्थान पर सम्मानपूर्वक रोपित किया गया। समय के साथ ये तीनों शाखाएं आपस में इस प्रकार एकरूप हो गईं कि आज यह एक विशाल वृक्ष प्रतीत होता है।

दीक्षा और दीक्षाभूमि की गौरवगाथा

14 अक्टूबर 1956 को डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने यहीं दीक्षाभूमि पर लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। यह केवल एक धार्मिक परिवर्तन नहीं था, बल्कि भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास में एक क्रांतिकारी मोड़ था। उन्होंने ब्राह्मणवादी जाति व्यवस्था के विरुद्ध खड़े होकर समानता, करुणा और बौद्ध मूल्यों पर आधारित समाज की नींव रखी। आज दीक्षाभूमि न केवल उनके स्मरण का केंद्र है, बल्कि सामाजिक न्याय और आत्मगौरव का प्रतीक भी है।

बुद्धत्व और आंबेडकरी मिशन का प्रतीक

नागपुर का यह बोधिवृक्ष अब बुद्धत्व की आध्यात्मिक विरासत और बाबासाहब के मिशन दोनों का प्रतीक बन चुका है। यह वृक्ष न केवल अतीत से जोड़ता है, बल्कि वर्तमान पीढ़ी को धम्म, समता और करुणा की राह पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यह संदेश देता है कि बाबासाहेब आंबेडकर का संघर्ष केवल सामाजिक समानता के लिए नहीं था, बल्कि आत्मबल, संस्कृति और इतिहास की पुनर्रचना के लिए भी था।

Descendant of buddhism bodhi tree settled on nagpurs deekshabhoomi baba sahebs revolutionary dhammabhoomi got a sacred heritage

Get Latest   Hindi News ,  Maharashtra News ,  Entertainment News ,  Election News ,  Business News ,  Tech ,  Auto ,  Career and  Religion News  only on Navbharatlive.com

Published On: May 12, 2025 | 06:01 AM

Topics:  

  • Buddha Purnima
  • Buddhism
  • Nagpur News

सम्बंधित ख़बरें

1

राष्ट्रसंत ने बढ़ाए मानवतावादी विचार, नागपुर विवि पहुंची श्री गुरुदेव क्रांतिज्योत यात्रा का स्वागत

2

Nagpur News: कुर्की आदेश पर रोक लगाने से इनकार, सुपरर्ब हाइजेनिक की हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

3

फुटपाथ के भरोसे चल रहे बियर बार, न जब्त होते वाहन, ड्रंकन ड्राइव की कार्रवाई भी नहीं

4

Nagpur News: अभी भी 21 फीसदी खाली हैं बड़े सिंचाई प्रकल्प, मध्यम व लघु प्रकल्पों की स्थिति संतोषजनक

Popular Section

  • देश
  • विदेश
  • खेल
  • मनोरंजन
  • लाइफ़स्टाइल
  • बिज़नेस
  • वेब स्टोरीज़

States

  • महाराष्ट्र
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्यप्रदेश
  • दिल्ली NCR
  • बिहार

Maharashtra Cities

  • मुंबई
  • पुणे
  • नागपुर
  • ठाणे
  • नासिक
  • सोलापुर
  • वर्धा
  • चंद्रपुर

More

  • वायरल
  • करियर
  • ऑटो
  • टेक
  • धर्म
  • वीडियो

Follow Us On

Contact Us About Us Disclaimer Privacy Policy
Marathi News Epaper Hindi Epaper Marathi RSS Sitemap

© Copyright Navbharatlive 2025 All rights reserved.